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विरोधाभासी नजरिया समाज का प्रासंगिक हिस्सा हैं : महेश भट्ट

मुंबई: फिल्मकार महेश भट्ट का कहना है कि विवाद हमेशा बुरा शब्द नहीं होता है और विरोधाभासी विचार समाज का प्रासंगिक हिस्सा हैं. भट्ट ‘दिल जैसे धड़के धड़कने दो’ के निर्माता हैं. इस शो की कहानी एक गॉडमैन (राहिल आजम) और दो बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है जिन्हें नियति एक दूसरे के करीब ले आती […]

मुंबई: फिल्मकार महेश भट्ट का कहना है कि विवाद हमेशा बुरा शब्द नहीं होता है और विरोधाभासी विचार समाज का प्रासंगिक हिस्सा हैं. भट्ट ‘दिल जैसे धड़के धड़कने दो’ के निर्माता हैं.

इस शो की कहानी एक गॉडमैन (राहिल आजम) और दो बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है जिन्हें नियति एक दूसरे के करीब ले आती है. गुरदेव भल्ला द्वारा निर्देशित इस शो में बाल कलाकार जेरेड अल्बर्ट सैवेल, हिर्वा त्रिवेदी के अलावा श्रुति सेठ और राहिल आजम मुख्य भूमिका में हैं.

शो में गॉडमैन वाले पहलू से संभावित विवादों के बारे में पूछने पर भट्ट ने कहा कि वह लोगों के अलग-अलग विचारों को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. भट्ट ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा, विरोधाभासी नजरिया समाज का प्रासंगिक हिस्सा है.

जैसे एक घर दो खंभों पर खड़ा होता है और दोनों एक दूसरे के विपरित होते हैं. जरूरी नहीं है कि विरोधी विचार हमेशा गलत ही हों, दूसरे पहलू से वह सही भी हो सकता है. लोग इस शो से हमारा नजरिया जान पायेंगे.

भट्ट ‘सड़क 2’ के साथ 20 साल बाद फिल्म निर्देशन में वापसी कर रहे हैं. इस फिल्म में आलिया भट्ट और आदित्य रॉय कपूर के अलावा मूल फिल्म के कलाकार पूजा भट्ट और संजय दत्त भी नजर आयेंगे.

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