देश में 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं होगा. सरकार ने इसके इस्तेमाल को बंद करने का आदेश दिया है. यानी 1 जुलाई से शीतल पेय पदार्थों के साथ मिलने वाला प्लास्टिक स्ट्रॉ बंद हो जाएगा. इसके इस्तेमाल बंद हो जाने से पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियों पर संकट के बादल मंडराने लगे है. ऐसे में वेबरेज कंपनियां सरकार से अपने फैसले बदलने की बात कह रही हैं.
कैट का प्रतिबंध टालने का अनुरोध: इसी कड़ी में घरेलू व्यापारियों के संगठन कैट ने सरकार से विकल्प के अभाव में एक बारगी इस्तेमाल वाले ‘प्लास्टिक’ पर प्रतिबंध को फिलहाल टालने का अनुरोध किया है. अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने कहा, यह एक व्यावहारिक कदम है और पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन विकल्पों के अभाव में, यह कदम घरेलू व्यापार और वाणिज्य के लिए एक बुरा सपना साबित हो सकता है.
उद्योग संगठन का कहना है कि, पूरे देश में एक बार इस्तेमाल वाले प्लास्टिक के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखते हुए इसपर एक साथ प्रतिबंध लगाने से व्यापार और उद्योग को हुत घाटा होगा. कैट ने कहा कि इसके विकल्प के अभाव को देखते हुए प्रतिबंध को उचित समय के लिये टाला जा सकता है. संगठन ने आरोप लगाया कि एक बार के इस्तेमाल वाले 98 प्रतिशत प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुराष्ट्रीय कंपनियां, ई-कॉमर्स कंपनियां और भंडारण केंद्र करते हैं.
प्रतिबंध एक साल टालने का आग्रह: डेयरी कंपनी अमूल ने पर्यावरण मंत्रालय से प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध को एक साल के लिए टालने का अनुरोध किया है. कंपनी ने कहा है कि घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी कागज के स्ट्रॉ की कमी है. सरकार का एकल इस्तेमाल प्लास्टिक (प्लास्टिक स्ट्रॉ सहित) पर प्रतिबंध एक जुलाई, 2022 से लागू होगा. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमने एकल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रस्तावित प्रतिबंध के बारे में पर्यावरण सचिव को पत्र लिखा है.”
जीसीएमएमएफ अपने दूध और अन्य डेयरी उत्पाद अमूल ब्रांड नाम से बेचती है। सोढ़ी ने बताया, ‘‘प्लास्टिक स्ट्रॉ हमारे बटर मिल्क और लस्सी के टेट्रा पैक के साथ ही जुड़ा होता है.” अमूल को प्रतिदिन 10 से 12 लाख प्लास्टिक स्ट्रॉ की जरूरत होती है. सोढ़ी ने कहा कि हमने मंत्रालय से आग्रह किया है कि स्थानीय उद्योग को कागज के स्ट्रॉ के उत्पादन की सुविधाएं विकसित करने के लिए एक साल का समय दिया जाए. एक अन्य कंपनी पारले एग्रो ने भी सरकार से इसी तरह का अनुरोध किया है. पारले के लोकप्रिय ब्रांड में ‘फ्रूटी’ और ‘एप्पी’ शामिल हैं.
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