रूस-यूक्रेन युद्ध का असर एलआईसी आईपीओ के रिलीज डेट पर भी पड़ सकता है. मार्केट के एक्सपर्ट का कहना है कि एलआईसी आईपीओ को सरकार अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है, क्योंकि मौजूदा हालात में निर्गम को लेकर फंड प्रबंधकों की दिलचस्पी कम हुई है.
एलआईसी की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने वाली है सरकार
ज्ञात हो कि सरकार इसी महीने जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही थी, जिससे सरकारी खजाने को लगभग 60,000 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था. बताया जा रहा था कि आईपीओ को मार्च के अंत रिलीज किया जाना था.
वैश्विक इक्विटी बाजारों पर दबाव
एलआईसी के इस आईपीओ से चालू वित्त वर्ष के लिए 78,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलने की भी उम्मीद थी. आशिका समूह के खुदरा इक्विटी शोध प्रमुख अरिजीत मालाकार ने कहा, रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष के चलते मौजूदा भू-राजनीतिक परिदृश्य वैश्विक इक्विटी बाजारों पर दबाव डाल रहा है.
बाजार की अस्थिरता एलआईसी आईपीओ के लिए उचित नहीं
भारतीय बाजारों ने भी इस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है और अब तक अपने उच्चतम स्तर से लगभग 11 प्रतिशत टूट चुका है. उन्होंने कहा, ऐसे में बाजार की मौजूदा अस्थिरता एलआईसी के आईपीओ के लिए अनुकूल नहीं है और सरकार इस निर्गम को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है.
बिकवाली बढ़ी है
रिसर्च इक्विटीमास्टर की सह-प्रमुख तनुश्री बनर्जी ने कहा कि बाजार की कमजोर धारणा एलआईसी आईपीओ के लिए निराशाजनक है. ऐसे में इस आईपीओ के स्थगित होने की आशंका है. अपसाइड एआई के सह-संस्थापक अतनु अग्रवाल ने कहा कि व्यापक अनिश्चितता की स्थिति में उभरते बाजारों में हमेशा बिकवाली देखने को मिलती है. इसका मतलब है कि घरेलू बाजारों में नकदी कम हो रही है.
बजट आंकड़े पर पड़ेगा असर
ट्रेडस्मार्ट के अध्यक्ष विजय सिंघानिया ने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार के लिए आईपीओ को कुछ महीनों के लिए टालना कोई बड़ी बात नहीं है. हालांकि इससे वित्त वर्ष 2021-22 के बजट आंकड़े कुछ बिगड़ जायेंगे.