मुंबई : शोध एजेंसी क्रिसिल ने अपनी एक रिपोर्ट में आगाह किया है कि मार्च महीने में तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. उसने कहा है कि तापमान में मौजूदा वृद्धि मार्च में भी बनी रहती है तो रबी गेहूं का उत्पादन प्रभावित होगा और पैदावार पिछले साल के निचले स्तर के बराबर या उसकी तुलना में कुछ कम होगा. गेहूं के उत्पादन में करीब 30 फीसदी का योगदान देने वाले उत्तर प्रदेश में खरीफ धान की फसल के बाद समय पर बुवाई के कारण पूर्वी हिस्से में अपेक्षाकृत अच्छी पैदावार की उम्मीद है.
पश्चिमी यूपी में गिर सकता है उत्पादन
शोध एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि अगर मार्च में अधिक तापमान बना रहता है, तो देर से बुवाई के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मामूली गिरावट देखी जा सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा में देर से बोया गया गेहूं फूल अवस्था में पहुंचा है, जबकि जल्दी बोया गया लॉट अब दूध बनने की अवस्था में है और अधिक तापमान इन दोनों चरणों में अनाज के गठन के लिए हानिकारक हैं. पंजाब-हरियाणा का सालाना गेहूं उत्पादन में 25 फीसदी का योगदान है. इसी तरह, बिहार में गेहूं की जल्दी बुवाई हुई है और वहां फसल अनाज बनने और पकने के चरण में है, जिस पर गर्मी का अपेक्षाकृत कम प्रभाव हो सकता है.
पोषक तत्वों के उपयोग से मिल सकती राहत
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि इस तरह के अजैविक कारकों को बहुत प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना मुश्किल है, लेकिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पहले से ही जैव-उत्तेजक और विशेष उर्वरक जैसे फसल पोषक तत्वों का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे उन्हें कुछ हद तक गर्मी की लू से निपटने में मदद मिलनी चाहिए.
एक मार्च को होगी चौथे दौर की नीलामी
उधर, एक खबर यह भी है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने बुधवार को हुई ई-नीलामी के तीसरे दौर में आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 5.08 लाख टन गेहूं की बिक्री की है. पहले दो दौर में, खाद्यान्न और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को कम करने के कदमों के तहत खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत लगभग 13 लाख टन गेहूं थोक उपयोगकर्ताओं को बेचा गया है. अगली साप्ताहिक ई-नीलामी एक मार्च को होगी.