नयी दिल्ली/ब्यूरोः केंद्र में मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर आये आर्थिक विकास के आंकड़े आर्थिक मोरचे पर सरकार के लिए अच्छे नहीं है.सीएसओ की आेर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में देश की विकास दर 7.1 फीसदी रही, जबकि 2015-16 में विकास दर आठ फीसदी थी. हैरानी की बात है कि जनवरी-मार्च 2017 के दौरान विकास दर कम होकर 5.6 फीसदी हो गयी, जबकि इसी दौरान जनवरी 2016 में विकास दर 8.7 फीसदी थी. वर्ष 2016-17 में ग्रोथ रेट के आंकड़ों से स्पष्ट है कि आर्थिक विकास दर पर नोटबंदी का प्रतिकूल असर पड़ा है. आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 6.1 फीसदी रही है.
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गौरतलब है कि कई अर्थशास्त्रियों ने आशंका जतायी थी कि नोटबंदी का असर विकास दर पर पड़ना तय है. इस बारे में अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि आंकड़े हैरान करनेवाले नहीं है. नोटबंदी से देश के छोटे उद्योगों पर असर पड़ा. इससे रोजगार का संकट भी पैदा हुआ है. वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार के बीच नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग गया है. सभी क्षेत्रों में गिरावट इसकी पुष्टि करती है कि नोटबंदी का फैसला सही नहीं था.
नोटबंदी से असंगठित क्षेत्र में कामकाज रहा ठप, मौसमी बेरोजगारी में हुआ इजाफा
इससे देश के असंगठित क्षेत्र का कामकाज लगभग ठप हो गया. इससे उबरने में अभी वक्त लगेगा. हालांकि रेटिंग एजेंसियों का भरोसा भारतीय अर्थव्यवस्था पर बढ़ रहा है. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि भारत की विकास दर मौजूदा साल में 7.5 फीसदी रहेगी. अगले चार साल में यह आठ फीसदी हो जायेगी. विश्व बैंक का भी कहना है कि ग्रोथ रेट 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. 2017 में एग्रीकल्चर की ग्रोथ रेट 0.7 फीसदी से बढ़ कर 4.9 फीसदी हो गयी, जबकि चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र की विकास दर 1.5 फीसदी से बढ़ कर 5.2 फीसदी हो गयी. कोयला, क्रूड ऑयल व सीमेंट उत्पादन में गिरावट के चलते आठ बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ रेट अप्रैल में घटकर 2.5 प्रतिशत रही.
मॉनसून ने दिया साथ, किसानों आैर अर्थव्यवस्था के लिए रहा फायदेमंद
बेहतर मॉनसून से एग्रीकल्चर को फायदा हुआ. 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर 1,03,219 रुपये पर पहुंचने का अनुमान लगाया है. यह 2015-16 में 94,130 रुपये रही थी. प्रति व्यक्ति आय में 9.7 प्रतिशत इजाफा हुआ है.प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार के बीच नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर अचानक ब्रेक लग गया है. सभी क्षेत्रों में गिरावट इसकी पुष्टि करती है कि नोटबंदी का फैसला सही नहीं था.
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