मुंबई : दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजों के आने वाले दिन की शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स पिछले 31 सालों में पहली बार जादुई 30,000 के आंकड़ों को पार करते हुए एक नयी ऊंचाई पर पहुंचने का काम किया है. इस 31 साल की यात्रा के दौरान हालांकि सेंसेक्स ने करीब दो बार 30,000 के स्तर को पार किया है. इससे पहले मार्च, 2015 और 5 अप्रैल, 2017 को सेंसेक्स ने 30 हजार के स्तर को पार किया था. सेंसेक्स का संबंध जिस बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) से है.
बीएसई की स्थापना प्रेमचंद रॉयचंद ने 1875 में की थी. इसके बाद 1957 में इसे सरकार ने मान्यता प्रदान किया था. इसके बाद 1 जनवरी, 1986 को यह आधिकारिक तौर पर बीएसई का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स बना. उस समय से लेकर अब तक यानी 31 साल में यह तीसरा मौका है, जब सेंसेक्स ने 30 हजार का स्तर छुआ है. देश की अर्थव्यवस्था, राजनीति और बड़ी-बड़ी घटना-दुर्घटनाओं से प्रभावित होने वाला यह संवेदी सूचकांक शेयर बाजार के दिल की धड़कन की तरह है. इसकी तेजी-मंदी सभी शेयर कारोबारियों के सुख-दुख पर असर डालती है.
1990 में पहली बार चार अंकों में पहुंचा था सेंसेक्स
बीएसई के संवेदी सूचकांक सेंसेक्स पहली बार 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स पहली बार चार अंकों में पहुंचा और 1,001 पर बंद हुआ था. इसके बाद 11 अक्टूबर, 1999 को शेयर बाजार ने 5,000 का स्तर छुआ था. फिर 6 फरवरी, 2006 को पहली बार शेयर बाजार 10,000 तक पहुंचा. इतना ही नहीं, 6 जुलाई, 2007 को यह 15,000 अंक के स्तर पर बंद हुआ था. इसके बाद इसने लगातार नयी ऊंचाई को छुआ और 11 दिसंबर, 2007 को 20,000 पर पहुंच गया. इसके बाद 16 मई, 2014 को जब देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजग की नयी सरकार का गठन हो रहा था, तब सेंसेक्स पहली बार 25,000 के स्तर पर पहुंचा. इसके बाद मार्च, 2015 में पहली बार 30 हजार के स्तर को छूआ. अब आज यानी बुधवार को दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे घोषित किये जाने के दिन दूसरी बार सेंसेक्स में 30 हजार तक का उछाल नजर आया है.
सेंसेक्स ने ऐसे पूरा किया आज तक का सफर
1981 में बीससई सेंसेक्स 173 के स्तर पर था.
1983 में टीम इंडिया ने विश्वकप जीता, तो सेंसेक्स ने भी 212 का स्तर छूते हुए जश्न मनाया.
1984 में देश को इंदिरा गांधी की हत्या और भोपाल गैस त्रासदी का झटका लगने पर शेयर बाजार भी गिरकर 245 अंक पर आ गया.
1989 में आम चुनावों के बाद कांग्रेस का बाहरी समर्थन से सरकार बनाने पर 714 अंक पर पहुंच गया.
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद शेयर बाजार 1168 अंक पर था.
1992 में डॉ मनमोहन सिंह का ड्रीम बजट और हर्षद मेहता कांड के बावजूद बाजार में 4285 के स्तर पर खरीदी-बिक्री की गयी.
1993 में मुंबई बम धमाकों के दौरान बीएसई बिल्डिंग को भी निशाना बनाया गया. इसके बाद भड़के दंगों से सेंसेक्स सहम गया और 2281 अंक के स्तर पर जा पहुंचा.
1996 में एनएसई के नये ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के साथ शेयर बाजार में आया, तो सेंसेक्स 3367 पर पहुंच गया.
1999 में राजग की सरकार सत्ता में आयी और अटलबिहारी प्रधानमंत्री बने, तो बाजार 3740 के स्तर पर जा पहुंचा.
2000 में देश में तकनीकी बूम आया और पहली बार शेयर बाजार 5000 पार हो गया.
2001 में गुजरात में आये भीषण भूकंप के शेयर बाजार भी भारी गिरावट के साथ 3640 पर आ गया.
2004 में वामदलों के समर्थन से यूपीए सरकार का सत्ता में आने पर यह 5591 पर पहुंच गया.
2006 में शेयर बाजार में बढ़त के सिलसिला जारी रहा और सेंसेक्स पहली बार 10,000 पार पहुंचा.
2007 में सालभर के अंदर ही 20,000 पार पहुंचा
2008 में 21,200 के रिकॉर्ड स्तर को छूआ. कच्चा तेल भी 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा.
2010 में घोटालों की मार का असर दिखा. सत्यम स्कैम, कॉमनवेल्थ घोटाला और दूरसंचार घोटालों से शेयर बाजार 17,590 तक गिरा.
2013 में रघुराम राजन का रिजर्व बैंक का गवर्नर बनाये जाने पर बाजार 18,835 के स्तर पर पहुंचा.
2014 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ने आम चुनावों में 283 सीटें हासिल की. कुल 330 सीटों के साथ राजग सत्ता में आयी, तो शेयर बाजार 25,000 के स्तर पर पहुंच गया.
2015 में शेयर बाजार ने पहली बार 30 हजार का स्तर छुआ.
2016 में उतार-चढ़ाव जारी रहा और शेयर बाजार में करीब 28,000 के स्तर पर कारोबार किया गया.
2017 में 5 अप्रैल को शेयर बाजार ने एक बार फिर 30 हजार के स्तर को छूने में कामयाबी हासिल की.
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