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एफडीडीआई को राष्ट्रीय महत्व, विधेयक लोकसभा में पेश

नयी दिल्ली : देश में फुटवियर और चमडा उत्पाद की डिजाइन का प्रशिक्षण देने वाले फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान :एफडीडीआई: को गुणवत्ता और उत्कृष्टता के लिहाज से राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रुप में स्थापित करने के प्रावधान वाला विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने […]

नयी दिल्ली : देश में फुटवियर और चमडा उत्पाद की डिजाइन का प्रशिक्षण देने वाले फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान :एफडीडीआई: को गुणवत्ता और उत्कृष्टता के लिहाज से राष्ट्रीय महत्व की संस्था के रुप में स्थापित करने के प्रावधान वाला विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया.

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान विधेयक, 2017 को पेश करते हुए कहा कि 1986 में स्थापित एफडीडीआई के देश में स्थित सात परिसरों के छात्रों को प्रमाणपत्र मिलने में आ रहीं कठिनाइयों को देखते हुए इन्हें राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देना ही एकमात्र रास्ता था.
उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में चमडा और जूते जैसे चमडे के उत्पादों की डिजाइनिंग का कौशल सिखाये जाने के साथ डिप्लोमा दिया जाता है और इन छात्रों को रोजगार के अच्छे अवसर भी मिलते हैं. मंत्री ने बताया कि शुरु में इस संस्थानों को इग्नू से संबद्ध किया गया था और वह इन छात्रों को डिप्लोमा प्रदान करती थी लेकिन 2012 में इग्नू ने इस आधार पर अपनी संबद्धता समाप्त कर दी कि यहां नियमित कक्षाएं चलती हैं और इग्नू पत्राचार पाठ्यक्रम संचालित करती है.
उन्होंने कहा कि बाद में राजस्थान के मेवाड विश्वविद्यालय ने संबद्धता प्रदान की लेकिन 2014 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा कि यह विश्वविद्यालय केवल राजस्थान के संस्थानों के छात्रों को डिप्लोमा डिग्री दे सकता है, देश में अन्य कहीं नहीं. सीतारमण ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में कौशल विकास पर जोर दिया है और प्रधानमंत्री कार्यालय तथा वाणिज्य मंत्रालय ने इन छात्रों का भविष्य उज्ज्वल करने के लिए प्रयास किये.
उन्होंने कहा कि संस्थान के पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण की गुणवत्ता को बनाये रखने के सभी प्रयासों के बाद केवल एक ही रास्ता दिखाई दिया कि इन संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा संसद द्वारा प्रदान किया जाए. मंत्री ने यह भी बताया कि संस्थान के विभिन्न सात परिसरों के अतिरिक्त इस साल पांच और परिसर देश में खुलने वाले हैं.
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस की रंजीत रंजन ने उत्तर प्रदेश में अवैध बूचडखानों पर कार्रवाई से इससे जोडते हुए कहा कि एक तरफ सरकार इस विधेयक के माध्यम से चमडे से बनी चीजों को बढावा देने की बात कर रही है, दूसरी तरफ एक राज्य के मुख्यमंत्री अपने आवास से भी चमडे की चीजें हटा रहे हैं, अवैध बूचडखानों पर कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार तय करे कि वह चमडे को बढावा दे रही है या नहीं.
क्या सरकार चमडे का आयात करेगी, यदि हां तो इसमें विदेशी कंपनियों से सांठगांठ की आशंका सामने आती है. रंजन ने कहा कि आज भी देश में विदेशी फुटवियरों का दबदबा है और इन कपंनियों से प्रतिस्पर्धा की कोई ठोस योजना नहीं दिखाई देती। उन्होंने कहा कि इस असंगठित क्षेत्र को संगठित बनाने की योजना नहीं दिखाई देती. उन्होंने संस्थान की संचालन परिषद का अध्यक्ष किसी उद्योगपति को बनाये जाने के प्रावधान पर भी विरोध जताया.
रंजन ने कहा कि फुटवियरों की डिजाइन के साथ उनके आरामदेह होने पर भी जोर होना चाहिए. भाजपा के गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह विधेयक इन संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 3709 बच्चों के भविष्य को उजाले में ले जाएगा जिन संस्थानों के माध्यम से पिछले केवल दो सालों में।,45,000 विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है और इनमें से 65 प्रतिशत छोटे स्थानों से हैं. उन्होंने कहा कि 12 राज्यों की पुलिस, वायु सेना के पायलट आदि इन संस्थानों के छात्रों के डिजाइन किये हुए जूते पहनते हैं. तेंदूपत्ता बीनने वाले लोगों के लिए इन संस्थानों ने एक हजार जोडी जूते तैयार करके दिये.
शेखावत ने कहा कि यह क्षेत्र 25 लाख लोगों को रोजगार देने की संभावना वाला क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि भारत में फुटवियर और चमडा उत्पादों की डिजाइन के लिए वैश्विक स्तर की तकनीकी दक्षता जरुरी है ताकि हम विदेशी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर सकें. चर्चा में तृणमूल कांग्रेस की ममताज संघमिता ममताज ने भी भाग लिया.

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