नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) यानी वसूल नहीं होने वाले कर्ज में बढ़ोतरी की दर में मार्च तिमाही में गिरावट का रुख रहा और इस्पात क्षेत्र में सुधार के संकेत नजर आ रहे हैं. जेटली ने संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में कहा कि एनपीए की मुख्य समस्या बहुत बड़ी कंपनियों के साथ है जो कि मुख्य रूप से इस्पात, बिजली, बुनियादी ढांचा व कपडा क्षेत्र की हैं. हालांकि इनकी संख्या कम ही है.
जेटली ने कहा, ‘बैंकों के एनपीए से निपटना चुनौतीपूर्ण कार्य है हालांकि मौजूदा वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में इसमें गिरावट का रुख देखा गया.’ उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों ने 2003-2008 की तेजी की अवधि में अपनी क्षमताओं का विस्तार किया लेकिन वैश्विक वित्तीय संकट और उसके बाद गिरावट का उन पर कोई असर नहीं पड़ा.
मंत्री ने कहा, ‘सरकार एनपीए की समस्या से निपटने के क्षेत्र विशेष आधारित कदम उठा रही है. इस्पात क्षेत्र सुधार की राह पर है जबकि बुनियादी ढांचा, बिजली व कपड़ा क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं. सार्वजनिक बैंकों का एनपीए मार्च 2016 के आखिर में 5.02 लाख करोड़ रुपये था जो दिसंबर 2016 के आखिर में बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपये हो गया.
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार सलाहकार समिति के सदस्यों ने भी सार्वजनिक बैंकों के एनपीए से निपटने के लिए अनेक सुझाव दिये.
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