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PM मोदी का भारतीय ऊर्जा कंपनियों से बहुराष्ट्रीय कंपनी बनने का आहवान

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उर्जा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों से बहुराष्ट्रीय कंपनी बनने का आहवान करते हुए कहा कि स्थिर और सस्ती ऊर्जा आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण कुंजी है. इस के साथ उन्होंने पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के लिये ऊर्जा गलियारा बनाये जाने के अपने दृष्टिकोण का भी […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उर्जा क्षेत्र की भारतीय कंपनियों से बहुराष्ट्रीय कंपनी बनने का आहवान करते हुए कहा कि स्थिर और सस्ती ऊर्जा आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण कुंजी है. इस के साथ उन्होंने पश्चिमी एशिया, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के लिये ऊर्जा गलियारा बनाये जाने के अपने दृष्टिकोण का भी खुलासा किया. मोदी ने आज यहां तेल एवं गैस क्षेत्र के सम्मेलन पेट्रोटेक का उद्घाटन करते हुये कहा कि भारत को घरेलू तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है. साथ ही क्षेत्रीय ऊर्जा संपन्न देशों के साथ भागीदारी भी स्थापित करनी होगी.

उन्होंने कहा, ‘आर्थिक वृद्धि को बढाने के लिये ऊर्जा महत्वपूर्ण जरुरत है. आर्थिक विकास का लाभ समाज के निचले तबके तक पहुंचे इसके लिये सतत्, स्थिर और तर्कसंगत मूल्य पर उर्जा की उपलब्धता जरुरी है.’ मोदी ने कहा, ‘ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिये हमें ऊर्जा के उपयुक्त और विश्वसनीय स्रोत की जरुरत है जबकि दूसरी तरफ हमें पर्यावरण का भी ध्यान रखना होगा.’

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के आर्थिक विकास में हाइड्रोकार्बन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा लेकिन देश को ऐसी ऊर्जा चाहिये जो कि गरीबों की पहुंच में हो और उसके इस्तेमाल और ऊर्जा सुरक्षा की भी पूरी व्यवस्था हो.

मोदी ने कहा, ‘ऊर्जा और विशेषतौर पर हाइड्रोकार्बन भारत के भविष्य के लिये मेरे दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह ऊर्जा के चार खंबों ‘ऊर्जा तक पहुंच, कुशलता, निरंतरता और सुरक्षा’ पर टिका है.’ उन्होंने कहा कि देश को घरेलू स्तर पर तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने और आयात निर्भरता कम करने की जरुरत है. ‘मैंने वर्ष 2022 तक आयात निर्भरता 10 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा है. यह लक्ष्य तेल की खपत बढ़ने के दौरान ही हासिल किया जाना है.’

घरेलू स्तर पर हाइड्रोकार्बन का उत्पादन बढ़ाने के लिये निवेश अनुकूल नीति की पैरवी करते हुये मोदी ने कहा कि तेल एवं गैस की खोज और उत्पादन बढ़ाने के लिये एक नयी हाइड्रोकार्बन नीति पेश की गयी है जिसमें शेल गैस और तेल तथा कोयला खानों में मिलने वाली मीथेन गैस की खोज सहित समूचे हाइड्रोकार्बन क्षेत्र के लिये एक ही लाइसेंस का प्रावधान किया गया है. इसमें निवेशकों के लिये अपनी पसंद का तेल क्षेत्र चुनने की खुली नीति भी शामिल है.

विवाद से बचने के लिये मुनाफे में हिस्सेदारी की पिछली नीति के स्थान पर यह खुली नीति है जिसमें निवेशक अपनी पसंद से तेल खोज का ब्लॉक, राजस्व भागीदारी मॉडल का चुनाव कर सकते हैं. इसमें उन्हें मूल्य तय करने और विपणन की भी स्वतंत्रता होगी. रूस के तेल क्षेत्रों में 5.6 अरब डालर के निवेश को उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में भारत की सक्रिय विदेश नीति का परिणाम बताया. इस तेल क्षेत्र से भारत को डेढ़ करोड़ टन इक्विटी तेल मिलेगा.

मोदी ने वैश्विक हाइड्रोकार्बन कंपनियों को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित कर ‘मेक इन इंडिया’ में भागीदारी निभाने को कहा. उन्होंने कहा, ‘हमारे लगातार प्रयासों से कारोबार सुगमता के क्षेत्र में भारत की रैंकिंग सुधरी है. मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारी प्रतिबद्धता काफी मजबूत है और हमारा ध्येय लाल फीताशाही के स्थान पर लाल कालीन बिछाने की है.’

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