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नगदी निकासी सीमा : दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अपना आदेश वापस लेने की अपील ठुकराई

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज वह आवेदन अस्वीकार कर दिया जिसमें नोटबंदी के फैसले से पहले बैंकों में जमा कराया गया धन रोज निकाले जाने पर लगायी गयी सीमा हटाने की अपील को खारिज करने का उसका आदेश वापस लेने की मांग की गयी थी. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति […]

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज वह आवेदन अस्वीकार कर दिया जिसमें नोटबंदी के फैसले से पहले बैंकों में जमा कराया गया धन रोज निकाले जाने पर लगायी गयी सीमा हटाने की अपील को खारिज करने का उसका आदेश वापस लेने की मांग की गयी थी. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की पीठ ने कहा ‘यह आवेदन खारिज किया जाता है.’ पीठ ने 25 नवंबर को वह अपील खारिज कर दी थी जो एक उद्योगपति अशोक शर्मा ने दायर की थी.

इस अपील में केंद्र सरकार को, 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट अमान्य किये जाने के फैसले से पहले बैंकों में लोगों द्वारा जमा किये गये धन को रोज निकालने पर लगायी गयी रोक को हटाने का आदेश देने की मांग की गयी थी. पीठ ने अपना पूर्व का आदेश वापस लेने की मांग कर रहे आवेदन पर 30 नवंबर को अपना फैसला आज तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. अपील में आरोप लगाया गया था कि केंद्र सरकार ने अदालत में झूठा बयान दिया कि बैंकों से 24,000 रुपये निकालने की सीमा केवल 24 नवंबर तक थी जबकि यह सीमा अवधि बढा कर 30 दिसंबर कर दी गयी है.

पूर्व में पीठ ने अशोक शर्मा की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा था कि इस तरह की कोई रोक नहीं है क्योंकि चेक, डिमांड ड्राफ्ट या नेट बैंकिंग के जरिये रुपये निकाले जा सकते हैं या स्थानांतरित किये जा सकते हैं. केंद्र ने भी अपील का यह कहते हुए विरोध किया था कि इस मामले पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा है और रोक केवल इसलिए लगायी गयी है ताकि नीति प्रभावी हो सके.

अदालत ने 25 नवंबर को अपील खारिज करने के लिए कारण गिनाते हुए कहा था कि पहला – उच्चतम न्यायालय मामले की सुनवाई कर रहा है, दूसरा- रुपये निकालने की सीमा 24 नवंबर तक ही थी. ताजा अपील में आरोप लगाया गया है कि केंद्र की आठ नवंबर की रुपये निकालने की साप्ताहिक सीमा संबंधी अधिसूचना को 14 नवंबर को परिवर्तित कर दिया गया और अब यह 30 दिसंबर तक लागू है.

इससे पहले, याचिकाकर्ता ने केंद्र की अधिसूचना के उपबंध 2 (छह) को रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया कि सप्ताह में एक बार 24,000 रुपये निकाले जाने की सीमा लोगों के ‘आजीविका के अधिकार’ को बाधित करती है. पूर्व में उपबंध 2 (छह) के तहत बैंकों से सप्ताह में एक बार रुपये निकालने की अधिकतम सीमा 20,000 रुपये और दैनिक सीमा 10,000 रुपये थी. बाद में साप्ताहिक सीमा बढ़ा कर 24,000 रुपये की गयी और दैनिक सीमा समाप्त कर दी गयी. एटीएम से रुपये निकालने की दैनिक सीमा 2,500 रुपये है.

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