मुंबई : टाटा समूह के चेयरमैन पद से हटाये जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने बोर्ड सदस्यों व ट्रस्टों को इमेल कर अपना पक्ष रखा है. साइरस ने अपने इमेल में कहा है कि जिस तरह से उन्हें बाहर किया गया, उससे उन्हें झटका लगा है. साइरस मिस्त्री ने लिखा है कि उन्हें अपने बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया.
उन्होंने लिखा है कि बोर्ड को इस फैसले से कोई प्रशंसा नहीं मिली है और उन्हें अपने बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया. उन्होंने लिखा है कि इस अटकलों को हवा मिली और मेरे सहित (टाटा) समूहकी प्रतिष्ठा कोअथाह नुकसान जरूर पहुंचा. सारइस से खुद को हटाये जाने को भारत के कंपनी इतिहास में अभूतपूर्व बताया. साइरस ने यह भी लिखा है कि चेयरमैन के रूप में उन्हें काम करने की स्वतंत्रता नहीं दी गयी, इसके लिए उन्होंने टाटा संस के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशंत में बदलाव का हवाला दिया है. इसके तहत डायरेक्टरों की जिम्मेवारी तय की जाती हैं.
ध्यान रहे कि सोमवार को कारोबारी जगत में एक बड़े उलटफेर के तहत साइरस मिस्त्री को अचानक टाटा संस की बोर्ड की बैठक में चेयरमैन पद से हटा दिया गया और पूर्व चेयरमैन को चार महीने के लिए अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया था. साथ ही नये चेयरमैन के चयन के लिए एक पैनल का गठन कर दिया गया था. इसके बाद कल टाटा समूह ने साइरस मिस्त्री के खिलाफ अलग-अलग अदालत में केविएट दाखिल किये. 100 बिलियन डॉलर के टाटा समूह के बोर्ड में नौ सदस्य हैं. इनमें छह सदस्यों ने साइरस मिस्त्री को हटाने के पक्ष में वोट दिया, जबकि दो सदस्यों ने खुद को वोटिंग से अलग रखा.
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