नासिक: नासिक जिले के करांजगांव गांव के एक किसान ने दावा किया है कि उसे प्याज के लिये सिर्फ 5 पैसे प्रति किलोग्राम का भाव मिला है. इसके विरोध में किसान ने अपनी 13 क्विंटल फसल को खेत में फेंक दिया. हालांकि, व्यापारियों का कहना है कि इस प्याज की गुणवत्ता काफी खराब थी, जिसकी वजह से किसान को इतने कम मूल्य की पेशकश की गई. निपाड तालुका के सुधाकर दराडे ने कहा कि मंगलवार को उन्हें साइखेडा की उप- कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में प्याज के लिए 5 रुपये प्रति क्विंटल :100 किलोग्राम: का भाव लगाया गया.
उन्होंने कहा कि 13 क्विंटल की उनकी फसल के लिए सिर्फ 65 रुपये का भाव लगाया गया. परेशान किसान ने कहा कि उन्हांेने प्याज की खेती पर 700 रुपये प्रति एकड का खर्च किया है और उपज को मंडी तक लाने के लिए 780 रुपये परिवहन पर खर्च किए गये। इस भाव से नाराज दराडे ने घर आकर अपनी सारी फसल को खेत में फेंक दिया. नासिक जिले को लाल प्याज की खेती के लिए जाना जाता है. जिले के लासलगांव में प्याज मार्केट एशिया में प्याज के लिए सबसे बडी थोक मंडी है. दराडे ने कहा, ‘‘मैंने नवंबर-दिसंबर में 10 एकड में प्याज की खेती की थी. मैंने घर पर करीब 1,000 क्विंटल प्याज का भंडारण किया था, जिससे अप्रैल में अच्छा मूल्य मिल सके. लेकिन जून-जुलाई में एपीएमसी में 35 दिन की हडताल की वजह से प्याज की नीलामी बुरी तरह प्रभावित हुई और इस वजह से यह प्याज खराब हो गया.
हालांकि, एपीएमसी के सूत्रों ने कहा कि दराडे द्वारा लाए गए प्याज की गुणवत्ता काफी खराब थी और इसका आकार भी छोटा था. प्याज के एक व्यापारी सुरेश कमानकर ने कहा, ‘‘फिलहाल एपीएमसी में प्याज की नीलामी 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर हो रही है. लेकिन किसान यहां गीला प्याज ला रहे हैं. मंगलवार को एक किसान साइखेडा में नीलामी में प्याज लाया था. हालांकि, उसकी ज्यादातर फसल गीली तथा सड़ी हुई थी. हालांकि, उनके कुछ अच्छी गुणवत्ता वाले प्याज के लिए 25 रुपये क्विंटल का भाव लगाया गया. खराब प्याज के लिए 5 रुपये प्रति क्विंटल का भाव लगाया गया।” इस बीच, प्याज के कम मूल्य के विरोध में राकांपा की नासिक इकाई ने जिले के सभी तालुका कार्यालयों में कल प्याज फेंक दिए और प्याज के लिए 2,000 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग की.
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