आज की तारीख में अगर आप क्रेडिट बनाना चाहते हैं तो सिबिल स्कोर आपके लिए काफी जरूरी है. जिनका सिबिल स्कोर कम होता है, वो प्राय: मुश्किल में फंसे दिखते हैं.
आजकल क्रेडिट बनाना कोई कठिन काम नहीं रह गया है. वो दिन चले गये जब आपकी लोन चुकाने की क्षमता ही क्रेडिट बनाने का एकमात्र मापदंड होता था. आजकल हरेक व्यक्ति जो क्रेडिट बनाना चाहता है उसके लिए क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड (सिबिल) की क्रेडिट रिपोर्ट की दरकार होती है. ये वो रिपोर्ट होती है जिसमें आपके क्रेडिट चुकाने से जुड़े सारे ट्रांजैक्शन का विवरण शामिल होता है. समय पर और समय से पहले चुकायी गयी देनदारियों से आपका सिबिल स्कोर सुधरता है.
वैसे तो ज्यादातर लेनदारों को सिबिल के बारे में जानकारी होती है लेकिन बहुत कम ऐसे हैं जिन्हें पता है कि सिबिल में 750 से ज्यादा का स्कोर दिखाता है कि आप एक ईमानदार लेनदार हैं. आज की तारीख में अगर आप क्रेडिट बनाना चाहते हैं तो सिबिल स्कोर आपके लिए काफी जरूरी है.
जब हम अच्छे सिबिल स्कोर की बात करते हैं तो कई लोग ऐसे भी होते हैं जो मुश्किल स्थिति में फंसे होते हैं. ये वो लोग होते हैं जिनका सिबिल स्कोर काफी कम होता है. अतीत में किसी लोन के डिफॉल्ट करने के चलते सिबिल स्कोर कम हो सकता है.
ऐसी हालत में कोई बैंक इन्हें लोन देने को तैयार नहीं होता है और ये अपने क्रेडिट स्कोर को बढ़ाने के लिए कुछ नहीं कर पाते हैं. इस तरह के हालात से निपटने के लिए एक उपाय सामने है जिसे सिक्योर्ड कार्ड कहते हैं. ये किसी बैंक द्वारा जारी किये गये क्रेडिट कार्ड की ही तरह होते हैं. सिर्फ इनकी क्रेडिट लिमिट में अंतर होता है. सिक्योर्ड कार्ड में उतनी ही क्रेडिट लिमिट तय की जाती है जितना फिक्स्ड डिपॉजिट आप बैंक के पास रखते हैं. इस तरह आपको क्रेडिट कार्ड जारी करते समय बैंक कोई जोखिम नहीं उठाता है.
बैंक में रखनी होगी फिक्स्ड डिपॉजिट
बैंक आपसे एक फिक्स्ड डिपॉजिट की मांग करता है. अगर आप एक लाख रु पये का फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं तो इस फिक्स्ड डिपॉजिट राशि के 60-70 फीसदी हिस्से के बराबर बैंक आपको एक क्रेडिट कार्ड जारी कर देगा. इस तरह आप बैंकों के नियम के मुताबिक 60 हजार से 70 हजार रुपये की लिमिट वाले एक क्रेडिट कार्ड पा लेते हैं.
चूंकि क्रेडिट कार्ड के पीछे एक एसेट-फिक्स्ड डिपॉजिट रखा हुआ है इसलिए इसे सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड कहते हैं. क्रेडिट कार्ड धारक इसे किसी अन्य क्रेडिट कार्ड की ही तरह उपयोग कर सकता है. इन कार्ड पर ब्याज की दर अन्य असुरक्षित क्रेडिट कार्ड के मुकाबले कम होती है. हालांकि अन्य सभी मापदंडों पर सिक्योर्ड कार्ड अनिसक्योर्ड कार्ड की ही तरह समान होते हैं.
अगर क्रेडिट कार्ड धारक आउटस्टैंडिग क्रेडिट को नहीं चुकाता है तो बैंक के पास अधिकार है कि वो फिक्स्ड डिपॉजिट से पैसा निकाल ले. बैंक ने ब्याज के सहित आउटस्टैंडिग रकम के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट में एक सीमारेखा बना रखी होती है जिससे बैंक अपने ब्याज को सुरक्षित रख पाता है. इस सुविधा में क्रेडिट कार्ड धारक को क्रेडिट कार्ड की सारी सुविधाएं मिलती हैं. अगर 6-12 महीने के दौरान सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड के सारे आउटस्टैंडिंग तय समय से पहले या समय पर चुकाये जाते हैं तो इससे कार्ड धारक अच्छी क्रेडिट हिस्ट्री बना लेता है और ऊंचा क्रेडिट स्कोर हासिल कर लेता है.
दोनों पक्षों को लाभ
ये बैंक और क्रेडिट कार्ड होल्डर दोनों के लिए ही फायदे का सौदा होता है. जैसे कि आपको क्रेडिट कार्ड मिलता है और अच्छा क्रेडिट स्कोर मिलता है वहीं बैंक को फिक्स्ड डिपॉजिट और क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला ब्याज मिलता है. ये क्रेडिट कार्ड उन व्यक्तियों द्वारा भी काम में लाये जा सकते हैं जिनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती और वो इसे बनाना चाहते हैं. आमतौर पर वो लोग जिन्हें हाल ही में नौकरी मिली हो और जो कुछ सालों के बाद होमलोन लेना चाहते हों.
इन दिनों बैंक कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड के जरिये क्रेडिट स्कोर बनाने का मौका दिया जाए. एक्सिस बैंक, आइसीआइसीआइ बैंक इस तरह के क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को ऑफर कर रहे हैं.
क्रेडिट स्कोर बैंक और क्रेडिट कार्ड होल्डर दोनों के लिए ही फायदे का सौदा होता है. जैसे आपको क्रेडिट कार्ड मिलता है और अच्छा क्रेडिट स्कोर मिलता है वहीं बैंक को फिक्स्ड डिपॉजिट और क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला ब्याज मिलता है. ये क्रेडिट कार्ड उन व्यक्तियों द्वारा काम में लाये जा सकते हैं जिनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती और वो इसे बनाना चाहते हैं. इसमें आमतौर पर हाल में नौकरी पाये लोग होते हैं, जो कुछ सालों के बाद होमलोन लेना चाहते हों.
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