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नौकरी की अनिश्चितता की वजह से ऋण लेने से कतरा रहे हैं भारतीय

नयी दिल्ली: अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा तथा नौकरी को लेकर अनिश्चितता की वजह भारत में लोग बैंकों से कर्ज लेने से कतरा रहे हैं. उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है. सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘आर्थिक सुस्ती की वजह से जहां औद्योगिक वृद्धि एवं सेवाएं प्रभावित हुई हैं, वहीं […]

नयी दिल्ली: अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा तथा नौकरी को लेकर अनिश्चितता की वजह भारत में लोग बैंकों से कर्ज लेने से कतरा रहे हैं. उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है. सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘‘आर्थिक सुस्ती की वजह से जहां औद्योगिक वृद्धि एवं सेवाएं प्रभावित हुई हैं, वहीं खर्च करने वाले युवाओं में नौकरी को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है.’’ जब बैंकों से ऋण लेने की बात आती है, तो भारतीय का रख काफी संकीर्ण हो जाता है. वे मियादी जमा, शेयर या बांडों के बदले ऋण नहीं लेना चाहते.

बैंकिंग आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष में सावधि जमा (एफडी) के बदले कर्ज लेने वाले लोगों की संख्या में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले लोग भी ऋण नहीं लेना चाहते क्योंकि बकाये के भुगतान पर काफी उंचा ब्याज लिया जाता है.पहले से ऋण ले चुके लोग भी सतर्कता का रख अपना रहे हैं और वे जुर्माने से बचने के लिए समय पर अपने बकाये का भुगतान कर रहे हैं.

सर्वेक्षण कहता है कि लोगों को लगता है कि क्रेडिट कार्ड के बकाया से वे ऋण के जाल में फंस जाएंगे। कुछ इसी तरह का रख निजी लोगों या इकाइयों द्वारा शेयर या बांड गिरवी रखकर बैंक ऋण लेने में दिखाई दे रहा है. एसोचैम के मुताबिक, शेयर या बांड गिरवी रखकर ऋण लेने की राशि में चालू वित्त वर्ष में 6.6 फीसद की गिरावट आई है. वहीं पिछले वित्त वर्ष में इस मद में 8.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ था.सर्वेक्षण में कहा गया है कि बैंकों द्वारा लिए जाने वाले उंचे ब्याज की वजह से भी लोग कर्ज नहीं लेना चाहते हैं. वहीं दूसरी ओर नकदी की कड़ी स्थिति के मद्देनजर हाल के समय में जमा पर ब्याज दर बढ़ाई गई है. इसके अलावा बैंक की नकदी संकट ङोल रही बड़ी कंपनियों को कर्ज नहीं देना चाहते.

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