नयी दिल्ली : सरकार ने आज कहा कि वह 2022 तक 1,75,000 मेगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रतिबद्ध है. इसमें से 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा होगी. बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा, ‘हम सौर ऊर्जा क्षेत्र में 1,00,000 मेगावाट उत्पादन को प्रतिबद्ध हैं. इसमें से 40,000 मेगावाट रुफटॉप (छतों) पर शेष अन्य कार्यक्रमों के जरिये पूरा किया जाएगा. हमारा 2022 तक 1,75,000 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य है. हम इसे मिशन के रूप में पूरा कर रहे हैं. आज दुनिया उस कार्यक्रम में पासा पलटने वाला खेल देख रही है जो भारत ने शुरू किया है.’
गोयल ने यहां विज्ञान भवन में केंद्र व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री इसको लेकर प्रतिबद्ध हैं. वह सिर्फ बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसके लिए कदम भी उठा रहे हैं. उनका इसमें काफी लगाव है.’ गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऊर्जा सुरक्षा के लिए बडी सोच के लिए ‘टीम इंडिया’ में विश्वास करते हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने इसको लेकर प्रतिबद्धता दिखाई थी.
उन्होंने कहा कि वैश्विक एजेंसियों ने इस मिशन के लिए भारत को उदार दरों पर ऋण उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताई है. सौर मिशन पर उन्होंने कहा, दो मुद्दे हैं जिसमें एक यह है कि क्या घरेलू विनिर्माण अपर्याप्त है इसलिए हम चीन व अन्य देशों की मदद कर रहे हैं या फिर सौर संयंत्रों की लागत कम होने का इंतजार किया जाए. लेकिन इस कार्यक्रम के महत्व को देखते हुए हमने मिशन मोड में इसे शुरू किया है.
बिजली मंत्री गोयल ने विभिन्न मंत्रालयों से अपील की कि वे दिल्ली की सरकारी इमारतों पर छह माह में सौर बिजली पैनलों का नेटवर्क बिछाएं. गोयल ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इसका समर्थन किया है. दिल्ली के बिजली मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से इसकी पुष्टि की है कि वे दिल्ली में इस तरह 1,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करना चाहते हैं. इस मिशन की सफलता को कोई चीज नहीं रोक सकती.
उन्होंने राज्यों से कहा कि वे परियोजनाओं की ऊंची लागत को लेकर सभी अडचनों को भूल जाएं और इस पहल को आगे बढाएं. गोयल ने कहा, ‘राज्य सरकारों को अतिरिक्त भुगतान को लेकर दिक्कत जताने के बजाय यह देखना चाहिए कि वे कैसे अपनी प्रणाली की दक्षता में सुधार कर सकते हैं.’ उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि सभी धार्मिक महत्व के स्थानों मसलन अजमेर शरीफ और सिद्धी विनायक मंदिर में भी अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल हो सकता है.
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