नयी दिल्ली : देश के निर्यात में मई में भी गिरावट रही और यह एक साल पहले इसी माह की तुलना में 20.19 प्रतिशत गिरकर 22.34 अरब डालर रह गया. यह लगातार छठा महीना है जबकि निर्यात संकुचित हुआ. निर्यात में गिरावट मुख्य तौर पर वैश्विक नरमी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण है. तेल के दाम गिरने से पेट्रोलियम उत्पादों की निर्यात आय प्रभावित हुई है. मई 2014 में देश से 27.99 अरब डालर की वस्तुओं का निर्यात हुआ था.
इससे पहले निर्यात में पिछले साल नवंबर में 7.27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी. उसके बाद से गिरावट का सिलसिला जारी है. पेट्रोलियम उत्पाद, रत्न एवं जेवरात, इंजीनियरिंग और रसायन समेत प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में मई में संकुचन हुआ. निर्यातकों ने लगातार गिरावट पर चिंता जाहिर की और कहा कि सरकार को इस गिरावट पर लगाम लगाने के लिए तेजी से पहल करना चाहिए.
भारतीय निर्यात संगठनों के परिसंघ (एफआइइओ) के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा ‘यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि गिरावट और बढी है. यदि इसे जारी रहने दिया जाता है तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित होगी.’ उन्होंने कहा कि इसकी प्रमुख वजह कच्चे तेल, धातु एवं जिंस में नरमी और मुख्य पश्चिमी बाजारो में नरमी ही रही. समीक्षाधीन अवधि में आयात भी 16.52 प्रतिशत घटकर 32.75 अरब डालर रहा.
फरवरी 2014 से अब तक यह सबसे तेज गिरावट जबकि आयात में 17.09 प्रतिशत का संकुचन हुआ था. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकडों के मुताबिक मई माह में व्यापार घाटा कम होकर तीन महीने के न्यूनतम स्तर 10.4 अरब डालर पर आ गया जो मई 2014 में 11.23 अरब डालर था. फरवरी में यह 6.85 अरब डालर था. पेट्रोलियम निर्यात मई में 40.97 प्रतिशत घटकर 8.53 अरब डालर रहा. गैर-पेट्रोलियम निर्यात 2.24 प्रतिशत घटकर 24.21 अरब डालर रहा.
सोने का आयात हालांकि 10.47 प्रतिशत बढकर 2.42 अरब डालर रहा. अप्रैल-मई 2015 में निर्यात 17.21 प्रतिशत गिरकर 44.4 अरब डालर पर आ गया. आयात भी 12.2 प्रतिशत घटकर 65.8 अरब डालर रहा जिससे चालू वित्त वर्ष के पहले दो माह में व्यापार घाटा कम होकर 21.39 अरब डालर रह गया. पिछले वित्त वर्ष 2014-15 के आखिरी माह, मार्च में देश का निर्यात 21 प्रतिशत घटा था जो पिछले छह महीने की सबसे बडी गिरावट थी.
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