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मैगी के बाद खाद्य सुरक्षा नियामक ने जीएसके व आइटीसी के नूडल्‍स की जांच के दिये आदेश

नयी दिल्ली : केंद्रीय खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने आज सात कंपनियों द्वारा विनिर्मित टॉप रेमन, फूडल्स और वाइ-वाइ जैसे विभिन्न नूडल, पास्ता और मैक्रोनी ब्रांडों के परीक्षण का आदेश दिया है ताकि मैगी विवाद के मद्देनजर इनके द्वारा नियमों के अनुपालन की जांच की जा सके. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआइ ने आज सात कंपनियों द्वारा विनिर्मित टॉप रेमन, फूडल्स और वाइ-वाइ जैसे विभिन्न नूडल, पास्ता और मैक्रोनी ब्रांडों के परीक्षण का आदेश दिया है ताकि मैगी विवाद के मद्देनजर इनके द्वारा नियमों के अनुपालन की जांच की जा सके. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने ‘मैगी न्यूटिलिशस पास्ता विद टेस्टमेकर’ की चार किस्मों के परीक्षण का भी आदेश दिया है.

एफएसएसएआइ के मुख्य कार्यकारी वाई एस मलिक ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को लिखे पत्र में कहा, ‘मैगी और इसी तरह के अन्य उत्पादों के परीक्षण से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंता खडी हुई है. इसके मद्देनजर परामर्श दिया जाता है कि इसी तरह के उत्पादों के नमूने जांच के दायरे में लाये जायें जिन्हें एफएसएसएआइ की मंजूरी मिली हुई है. इन नमूनों को परीक्षण के लिए अधिकृत प्रयोगशालाओं में भेजा जाना चाहिए.’

एफएसएसएआइ के आदेश के मुताबिक जिन कंपनियों के उत्पादों को परीक्षण की सूची में डाला गया है उनमें नेस्ले इंडिया, आइटीसी, इंडो निसिन फूड लिमिटेड, जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर, सीजी फूड्स इंडिया, रुचि इंटरनेशनल और एए न्यूट्रिशन लिमिटेड शामिल हैं. नियामक ने अपने साथ सूचीबद्ध उत्पादों की जांच का आदेश दिया है. इन उत्पादों में वाइ-वाइ नूडल तथा सीजी फूड्स का भुजिया चिकन स्नैक, रचि इंटरनेशनल का कोका इंस्टैंट नूडल, जीएसके कंज्यूमर हेल्थकेयर का फूडल और नेस्ले के मैगी इंस्टैंट नूडल की नौ किस्में शामिल हैं.

इस सूची में निसिन की टॉप रेमन आटा मसाला, आइटीसी के इंस्टैंट नूडल की तीन किस्में और यमी चिकन और एए न्यूट्रिशन के शाकाहारी नूडल शामिल हैं. सीजी फूड के मुख्य कार्यकारी जी पी शाह ने कहा, ‘हमारे ब्रांड भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा सूचीबद्ध हैं और ये सभी नियामकीय मानकों को पूरा करते हैं. हम जांच के खिलाफ नहीं हैं और जरुरत पडने पर अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे.’

अन्य कंपनियों से अभी टिप्पणी नहीं मिल सकी. यह पहल स्विट्जरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले की भारतीय इकाई द्वारा बाजार से मैगी वापस लेने के बाद की गई है. गौरतलब है कि ‘2 मिनट’ मैगी ब्रांड में तय मात्रा से अधिक सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाए जाने के कारण कई राज्यों ने इस उत्पाद पर पाबंदी लगा दी है. इस बीच, एफएसएसएआइ ने मैगी नूडल को मानव के खाने के लिए असुरक्षित और खतरनाक करार देते हुए इसकी सभी किस्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है.

नियामक ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे खाद्य उत्पादों के नमूने लें और यदि खाद्य उत्पाद मानकों के अनुरुप न हों तो एफएसएस अधिनियम के प्रावधानों और अन्य कानूनों (भारतीय दंड संहिता समेत) के मुताबिक कार्रवाई करें. एफएसएसएआइ ने एक पत्र में कहा, ‘उत्पाद मंजूरी प्रक्रियाओं के मुताबिक इन खंडों के ऐसे अन्य सभी उत्पादों के सुरक्षित होने संबंधी जांच नहीं की गई है. इसलिए ये गैरकानूनी हैं और मानव के खाने योग्य नहीं हैं.’

राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि ऐसे गैरकानूनी उत्पाद वापस लिए जाएं और बाजार से हटाकर इन्हें नष्ट किया जाए. प्रीजर्वेटिव (उत्पादों को सुरक्षित रखने वाले तत्व) और कृत्रिम रंग के परीक्षण जैसे सामान्य पैमानों के अलावा खाद्य नियामक ने सभी राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों से कहा है कि वे सीसा, तांबा, आर्सेनिक और कैडमियम जैसे धातुओं के सम्मिश्रण की जांच करें.

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