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मोदी सरकार की नयी विदेश व्‍यापार नीति, उद्योग जगत ने सराहा, मेक इन इंडिया पर जोर

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बुधवार को नयी विदेश व्‍यापार नीति की घोषणा कर दी है. वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्‍यापार नीमि की घोषणा करते हुए जहां मेक इन इंडिया पर जोर दिया है वहीं योग को सेवा निर्यात में शामिल करने की वकालत भी की है. उद्योग […]

नयी दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बुधवार को नयी विदेश व्‍यापार नीति की घोषणा कर दी है. वाणिज्‍य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्‍यापार नीमि की घोषणा करते हुए जहां मेक इन इंडिया पर जोर दिया है वहीं योग को सेवा निर्यात में शामिल करने की वकालत भी की है. उद्योग मंडलों ने नयी विदेश व्यापार नीति की सराहना करते हुए कहा कि इससे कारोबार करना आसान होगा, लेन-देन लागत कम होगी और सेज में नयी स्फूर्ति का संचार होगा.

उन्होंने यह भी मांग की कि निर्यात क्षेत्र के लिये ब्याज सहायता योजना की जल्द घोषणा की जानी चाहिए. यह योजना पिछले साल अप्रैल में समाप्त हो गयी. फियो के अध्यक्ष एस सी रलहन ने कहा, ‘निर्यात क्षेत्र के लिये ब्याज सहायता योजना की शीघ्र घोषणा की जानी चाहिए ताकि निर्यातकों के लिये विदेश व्यापार नीति तथा ऋण समर्थन दोनों के लिये एक स्थिर ढांचा उपलब्ध हो, ऐसा होने पर निर्यातक अपनी लागत के अनुरुप नये आर्डर ले सकेंगे.’

फिक्की के महासचिव ए दीदार सिंह ने कहा, ‘वैश्विक बाजार से जोडने तथा व्यापार नीति बनाने की प्रक्रिया में राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को साथ लाने के लिये नीति को बेहतर तरीके से सोच समझकर तैयार किया गया है. साथ ही मेक इन इंडिया तथा डिजिटल इंडिया जैसे महत्वपूर्ण अभियान के साथ प्रभावी जुडाव के लिये उपाय किये गये हैं.’ निर्यात मामलों की राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन संजय बुधिया ने कहा कि नीति सकारात्मक और व्यवहारिक है.

हालांकि उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि फोकस बाजार योजना (एफएमएस) तथा फोकस उत्पाद योजना (एफपीएस) के दरें कम हुई हैं जिसका निश्चित रूप से विपरीत प्रभाव पडेगा.’ इंजीनियरिंग निर्यातकों के संगठन ईईपीसी इंडिया ने कहा, ‘व्यापार नीति में ई-शासन तथा लेन-देन की लागत कम करने जैसे उपाय किये गये हैं. इससे लगता है कि इसका मुख्य जोर कारोबार करने को आसान बनाने पर है.’

एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा कि ई-कामर्स तथा सेवा निर्यात को गति देने के लिये समय पर कदम उठाया गया है. इसके अलावा विदेश व्यापार नीति में कृषि उत्पादों के निर्यात के लिये अधिक प्रोत्साहन दिये जायेंगे. नीति को मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया अभियानों के साथ जोडा जायेगा.

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सेवा निर्यात में योग को शामिल करेगी सरकार

नयी विदेश व्यापार नीति में ‘सेवा निर्यात’ के रूप में योग को बढावा देने के लिये अभियान चलाने पर जोर दिया गया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमन ने यहां कहा, ‘सेवाओं, औषधि, प्लाटेंशन तथा इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों से निर्यात को बढावा देने के लिये अभियान चलाने की योजना बनायी जा रही है.

साथ ही हस्तशिल्प और योग जैसे परंपरागत क्षेत्रों में जहां भारत की मजबूत स्थिति है, उसे भी बढावा देने की योजना है.’ उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य देखभाल से जुडे विभिन्न उत्पादों एवं सेवाओं के क्षेत्र में काफी कुछ दे सकता है. ऐसे में कुछ और देशों के लिये समग्र स्वास्थ्य उत्पादों तथा सेवाओं को बढावा देने का कार्यक्रम चलाया जाएगा.

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विदेश व्यापार नीति की 10 बड़ी बातें

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को 2015-20 की विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) पेश की. नीति की मुख्य बातें इस प्रकार हैं. वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 2013-14 के 466 अरब डालर से बढाकर 2019-20 तक 900 अरब डालर तक बढाया जायेगा.

1. वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 2 प्रतिशत से बढाकर 3.5 प्रतिशत होगी.

2. भारत वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) तथा भारत सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) शुरू.

3. अधिक घरेलू सामग्री तथा मूल्य वर्धन वाले निर्यात सामानों के लिये एमईआईएस के तहत अधिक प्रोत्साहन.

4. सेज स्थित इकाइयों को मिलेगी चैप्टर-3 की प्रोत्साहन सुविधायें.

5. पूंजीगत वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को बढावा देने के लिये ईपीसीजी योजना के तहत निर्यात बाध्यता घटाकर 75 प्रतिशत की गयी.

6. एफटीपी को मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया तथा भारत कौशल पहल से जोडा जाएगा.

7. शुल्क क्रेडिट पर्चियां पूरी तरह हस्तांतरणीय होंगी और इन्हें सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क तथा सेवा कर भुगतान के लिये उपयोग किया जा सकेगा.

8. निर्यात बढाने के काम में राज्य सरकारों को जोडने के लिये निर्यात संवर्धन मिशन.

9. सालाना समीक्षा के बजाए एफटीपी की समीक्षा अब ढाई साल बाद होगी.

10. रक्षा, कृषि उत्पाद तथा पर्यावरण अनुकूल उत्पादों के निर्यात के लिये अधिक समर्थन.

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