नयी दिल्ली : देश की नयी विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) कल पेश की जाएगी जिसमें सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहतसेवा निर्यात को प्रोत्साहन तथा विनिर्माण क्षेत्र को बढावा देने पर विशेष ध्यान दिये जाने की उम्मीद है.
नयी विदेश व्यापार नीति की घोषणा ऐसे समय हो रही है जबकि देश का निर्यात घट रहा है. ऐसे एफटीपी में चमडा और दस्तकारी जैसे श्रमगहन प्रौद्योगिकी आधारित निर्यात उद्योगों को ब्याज सब्सिडी योजना का लाभ को आगे भी जारी रखने के साथ साथ उन्हें कुछ और प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं.
सेवा क्षेत्र के अलावा इसमें उत्पादों के मानक व ब्रांडिंग पर भी बल दिया जाएगा. यह नीति विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों व भारत द्वारा विभिन्न देशों और समूहों के साथ मुक्त व्यापार के लिए किए गए करारों के प्रावधान को भी ध्यान में रखेगी.
एक अधिकारी ने कहा कि नई एफटीपी सेवाओं का निर्यात बढाने, विशेष क्षेत्रों में उत्पादों के मानक व ब्रांडिंग पर केंद्रित होगी. इसके अलावा यह मौजूदा योजनाओं पर भी केंद्रित होगी, जो डब्ल्यूटीओ नियमों के अनुरूप नहीं हैं.
देश के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 55 प्रतिशत है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से अक्तूबर की अवधि में सेवाओं का निर्यात 113.28 अरब डालर रहा है. नयी एफटीपी :2015-20: में कुल नौ अध्याय होंगे. इनमें से एक अध्याय अलग से सेवाओं के निर्यात पर होगा. इस नीति में देश में कारोबार में सुगमता तथा डिजिटल इंडिया पहल के संदर्भ में कदमों की घोषणा हो सकती है.
कारोबार में सुगमता के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात और आयात के लिए कागजी औपचारिकताओं का बोझ कम कर दिया है. इसके अलावा उसने आयात-निर्यात कोड संख्या के लिए दस्तावेज ऑनलाइन जमा कराने का विकल्प शुरू किया है. यह संख्या व्यापारियों के लिए अनिवार्य है.
आयात और निर्यात से संबंधित सभी गतिविधियों की निगरानी एफटीपी के जरिये की जाती है. इसका मुख्य उद्देश्य देश का निर्यात बढाना और व्यापार के विस्तार का इस्तेमाल आर्थिक वृद्धि व रोजगार सृजन के लिए प्रभावी तरीके से करना है.सरकार देश का निर्यात बढाने का प्रयास कर रही है. पिछले तीन साल में देश का निर्यात का आंकडा 300 अरब डालर के आसपास ही घूम रहा है. 2013-14 में देश का निर्यात 312.35 अरब डालर रहा, जबकि लक्ष्य 325 अरब डालर का था.
चालू वित्त वर्ष में फरवरी में निर्यात में लगातार तीसरे महीने गिरावट आई. इस बार फरवरी में निर्यात एक साल पहले की तुलना में 15 फीसद घटकर 21.54 अरब डालर पर आ गया.
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