नयी दिल्ली : सस्ती आवासीय परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने दस लाख रपये तक के आवासीय कर्ज के लिए नियमों में ढील दी है. केंद्रीय बैंक ने इसके तहत बैंकों को स्टांप ड्यूटी व पंजीकरण शुल्क को भी मकान की लागत में शामिल करने की अनुमति दे दी है. किसी मकान की लागत में इन शुल्कों का हिस्सा लगभग 15 प्रतिशत होता है और इससे रिण लेने वाले पर बोझ पडता है.
केंद्रीय बैंक ने इस बारे में एक अधिसूचना जारी की है. इसके अनुसार, इस तरह के कर्जदारों के लिए सस्ते मकानों की उपलब्धता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह फैसला किया गया है. इसके तहत दस लाख रुपये तक की लागत वाले मकान के मामले में बैंक स्टांप ड्यूटी, पंजीकरण व अन्य दस्तावेजी शुल्कों को मकान की कीमत के समक्ष रिण (एलटीवी) अनुपात की गणना में शामिल कर सकते हैं.
मौजूदा प्रक्रिया के तहत बैंक स्टांप ड्यूटी, पंजीकरण अन्य दस्तावेजी शुल्कों को आवासीय संपत्ति की लागत में शामिल नहीं करते हैं. केंद्रीय बैंक के अनुसार, हमारे ध्यान में लाया गया है कि उक्त मद की राशि मकान की लागत का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा होती है और इससे निम्न आय वर्ग तथा आर्थिक रुप से कमजोर तबके के कर्जदारों पर बोझ पडता है.
रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि यदि आवासीय परियोजना को सरकार, सांविधिक प्राधिकरण ने प्रायोजित किया है उसमें भी बैंक भुगतान के विभिन्न स्तरों के अनुरुप कर्ज वितरित कर सकते हैं. निर्माण के विभिन्न स्तरों के अनुरुप खरीदारों से भुगतान की मांग न भी की गई हो तब भी बैंक कर्ज उपलब्ध करा सकते हैं.
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