नयी दिल्ली: सरकार प्रवासी भारतीयों या विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों को उदार करने पर विचार कर रही है जिससे देश में पूंजी का प्रवाह बढाया जा सके. सूत्रों ने बताया कि इस बारे में जल्द उच्चस्तर पर निर्णय लिए जाने की उम्मीद है.
देश में विदेशी निवेश को प्रोत्साहन के लिए सरकार ने पिछले साल एक समिति का गठन किया था, जिसे एनआरआई द्वारा स्वदेश भेजे गए ऐसे धन जिसे वापस नहीं भेजा जा सकता, को घरेलू निवेश का दर्जा देने की संभावना पर विचार करना था.समिति ने देश में एनआरआई निवेश की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाने और अनिवासी भारतीयों के ऐसे निवेश की रिपोर्टिंग प्रणाली को मजबूत करने के मुद्दे को भी देखना था.
सरकार चाहती है कि एनआरआई कोष को दिशा देना चाहती है. ऐसे प्रवासी भारतीयों ने विदेशों में बडा कारोबार स्थापित किया हुआ है. सरकार एनआरआई के वापस न भेजे जाने वाले धन को घरेलू निवेश का दर्जा देना चाहती है. एनआरआई से आशय ऐसे व्यक्ति से है जो देश के बाहर रहता है, लेकिन उसके पास भारतीय नागरिकता है.
नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने रक्षा, रेलवे, निर्माण विकास, चिकित्सा उपकरण तथा बीमा क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार किया है. अब सरकार एनआरआई व विदेशी पूंजी दोनों का दोहन करना चाहती है. मौजूदा एफडीआई नीति के तहत नागर विमानन जैसे क्षेत्रों में एनआरआई निवेशकों के साथ विशेष व्यवहार किया जाता है.
किसी अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, लेकिन एनआरआई को इसमें 100 प्रतिशत निवेश की अनुमति है. इसी तरह गैर अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा में 74 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति है, लेकिन एनआरआई इनमें 100 प्रतिशत निवेश कर सकते हैं.
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में देश में एफडीआई का प्रवाह 27 प्रतिशत बढकर 21.04 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 16.56 अरब डालर था.देश में विदेशी निवेश के मजबूत प्रवाह से भुगतान संतुलन को दुरस्त करने व रुपये के मूल्य में स्थिरता लाने में मदद मिलती है. देश को अगले पांच साल में बंदरगाह, हवाई अड्डा व राजमार्ग सहित अन्य बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में सुधार के लिए 1,000 अरब डॉलर की जरुरत है.
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