नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सहारा समूह अपने मुखिया सुब्रत राय की रिहाई के लिये दस हजार करोड रुपये की राशि जुटाने के लिए जिस धन का विदेश से प्रबंध करे उसे भारतीय रिजर्व बैंक से आवश्यक मंजूरी के बाद ही देश में लाया जाए. न्यायालय ने इस बात से सहमति व्यक्त की कि विदेशी बैंक एजेन्ट के एस्क्रो खाते से धन के स्थानांतरण में आ रही कानूनी अडचनों को दूर करने के लिये विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के तहत सक्षम प्राधिकारी की विशेष अनुमति की आवश्यकता है.
न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि एस्क्रो खाते से धन के स्थानांतरण का मसला निबटने से पहले वह इस मामले में कोई आदेश नहीं देगा. न्यायाधीशों ने कहा, हम प्रस्तावित खाते के स्थानांतरण के बारे में कोई आदेश देना जरुरी नहीं समझते जो कि तीसरे पक्ष का है. सेबी और न्याय मित्र के संतुष्ट होने पर ही कोई आदेश दिया जा सकता है.
यह सवाल उस समय उठा जब इस मामले में न्यायालय की मदद कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे ने कहा कि विदेश से व्यावसायिक कर्ज के मामले में फेमा कानून के तहत मंजूरी प्राप्त करने की कानूनी अनिवार्यता है जिस पर सहारा समूह ने अभी तक अमल नहीं किया है. न्यायालय 65 करोड डालर (करीब 3600 करोड रुपये) के कर्ज के लिये उसकी अनुमति हेतु सहारा के अनुरोध पर सुनवाई कर रहा था.
यह कर्ज बैंक ऑफ चाइना की देनदारी से उबरने की योजना का हिस्सा है जो उसने सहारा को विदेशों में तीन होटल खरीदने के लिये दिया था. न्यायालय ने कहा कि विदेशी संपत्ति से संबंधित कुछ पहलुओं का सत्यापन, विशेषकर सेबी सहारा के खाते में जमा होने वाली संभावित रकम के बारे में जरुरी है. सहारा ने न्यायालय को यह भी सूचित किया कि एस्क्रो खाता बैंक ऑफ अमेरिका में स्थानांतरित कर दिया गया है.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह जमानत के लिये धन का बंदोबस्त करने हेतु राय को कुछ समय के लिये जेल से बाहर आने के अनुरोध पर विचार के लिये तैयार नहीं है. न्यायाधीशों ने कहा कि हमें व्यावहारिक होना पडेगा कि आप सिर्फ भुगतान करने के बाद ही बाहर आ सकेंगे. राय को पांच हजार करोड रुपए नकद और पांच हजार करोड रुपए की बैंक गारंटी देनी होगी.
न्यायालय ने कहा कि इस मुकदमे के इतिहास को देखते हुये हमें परिस्थितियों में कोई बदलाव नजर नहीं आता. रिहाई के लिये शेष धनराशि का बंदोबस्त करने में आप असमर्थ हैं. ऐसी स्थिति में आपकी रिहाई के बाद भुगतान और निवेशकों को धन लौटाने का क्या होगा. लेकिन न्यायालय ने निवेशकों को उनकी रकम का भुगतान करने से सेबी को रोकने के अपने पहले का आदेश वापस लेकर निवेशकों को राहत दी है.
न्यायाधीशों ने 2781 निवेशकों को राहत देते हुये कहा, ऐसी कोई वजह नहीं है कि उन्हें जमा राशि ब्याज के साथ क्यों नहीं लौटायी जाये. इन निवेशकों की सेबी ने पहचान कर ली है और उन्हें करीब 28.10 करोड रुपये का भुगतान होगा. शीर्ष अदालत ने सहारा समूह को अपने बैंक खातों के संचालन की अनुमति भी दे दी है. ये खातें विभिन्न कंपनियों के नाम से हैं. न्यायालय ने सहारा समूह से कहा कि वह अपने कंपनियों का विवरण और बैंक खातें तथा धनराशि आदि सत्यापन के लिये पेश करे.
न्यायालय ने कहा कि संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया गया था लेकिन इसमें उसके कारोबार को बाधित करने जैसा कुछ भी नहीं है. न्यायालय ने निवेशकों के सत्यापन के बारे में सेबी के खिलाफ सहारा की अपील पर सुनवाई करने के लिये सहमति व्यक्त करते हुये इसे नौ जनवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया. सहारा के वकील एस गणेश और केशव मोहन ने घरेलू संपत्ति की बिक्री से मिले 1900 करोड रुपए के चेक सेबी को सौंपे.
शीर्ष अदालत ने दो दिसंबर को सहारा समूह को जोधपुर, पुणे, गुडगांव के चौमा और मुंबई के वसई में चार घरेलू संपत्तियों की बिक्री की अनुमति दी थी. इससे करीब 2710 करोड रुपये मिलने की उम्मीद है. गणेश ने न्यायालय से कहा कि पुणे की संपत्ति को बेचने में कुछ कठिनाई आ रही है. इससे करीब 550 करोड रुपये मिलने की उम्मीद है. न्यायालय ने चार जून के आदेश में कहा था कि ऐसी बिक्री शीर्ष अदालत में दाखिल बयान में अनुमानित कीमत या क्षेत्र के सर्किल रेट से कम पर नहीं होगी.
इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया था कि इन संपत्तियों का सौदा मई, 2015 तक पूरा होगा और इसी बीच, खरीदार सेबी-सहारा रिफन्ड खाते में अगली तारीखों वाले चेक इस आश्वासन के साथ जमा करायेगा कि उसमें लिखी तारीखों पर उनका भुगतान हो जायेगा. सहारा ने नौ संपत्तियों में से अहमदाबाद की संपत्ति बेचकर 411.82 करोड रुपये जुटाये हैं जिसे सेबी के पास जमा करा दिया गया है. इससे पहले, सहारा समूह अपने मुखिया सुब्रत राय की रिहाई के लिये नये प्रस्ताव के साथ न्यायालय पहुंचा था.
सुब्रत राय निवेशकों का 20 हजार करोड रुपए और ब्याज की रकम नहीं लौटाने के कारण चार मार्च से तिहाड जेल में बंद हैं. न्यायालय ने उनसे कहा था कि जमानत पर रिहाई के लिये उन्हें दस हजार करोड रुपए का भुगतान करना होगा. सहारा पहले ही सेबी के पास 3117 करोड रुपये जमा करा चुका है और अहमदाबाद की संपत्ति की बिक्री से मिले 411.82 करोड रुपये भी सेबी के खाते में पहुंच चुके हैं.
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