नयी दिल्ली : वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने शनिवार को कहा कि भारत को घरों और मंदिरों में रखे 22 हजार टन सोने का इस्तेमान आयात पर नर्भिरता कम करने के लिए करना चाहिए. इसके साथ ही WGC ने कहा कि भारत को अपना निर्यात पांच गुणा बढाकर 2020 तक 40 अरब डालर तक ले जाने का लक्ष्य बनाना चाहिए. भारत दुनिया में सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है. वर्तमान में देश से 8 अरब डालर के स्वर्ण आभूषणों का निर्यात किया जाता है.
परिषद ने कहा है कि इसके साथ ही भारत में समूची स्वर्ण कारोबार श्रृंखला में 50 लाख लोगों को रोजगार सृजन का भी लक्ष्य लेकर आगे बढना चाहिये. सोने के आभूषणों का विनिर्माण, खुदरा बिक्री और पुराने आभूषणों का प्रसंस्करण कर नये बनाने की समूची प्रक्रिया में नये रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
भारत के लिये 2020 के दृष्टिकोण पत्र में स्वर्ण परिषद ने कहा है, सोने के बारे में हमारा मानना है कि इसे अर्थव्यवस्था के काम में लगाया जाना चाहिये, इसका इस्तेमाल रोजगार पैदा करने, कौशल विकास, निर्यात बढाने और राजस्व अर्जन के लिये होना चाहिये. इसे देश के वित्तीय आर्थिक और सामाजिक ढांचे का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाना चाहिये.
डब्ल्यूजीसी ने एक वक्तव्य में कहा है कि भारत को अगले पांच साल के दौरान दुनिया के आभूषण निर्माता के तौर पर स्थापित होना चाहिये. डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि भारत को अपनी सोने की जरुरत का 40 प्रतिशत घरेलू भंडार से पूरा करना चाहिये जबकि शेष 60 प्रतिशत सोना खनन और आयात के जरिये उपलब्ध कराया जाना चाहिये.
डब्ल्यूजीसी ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि अगले पांच साल के दौरान भारत को यह लक्ष्य लेकर भी चलना चाहिये कि जितना सोना बिकता है उसमें 75 प्रतिशत मानकीकृत और हॉलमार्क होगा. हॉलमार्क आभूषणों पर अधिक कर्ज दिया जाना चाहिये और एक निर्धारित मूल्य से अधिक बिक्री मूल्य वाले आभूषणों के लिये गुणवत्ता मानक हॉलमार्किंग को अनिवार्य बना दिया जाना चाहिये.
गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि सरकार को स्वर्ण कारीगरों के कल्याण के लिये ‘कारीगर कल्याण योजना’ शुरु करनी चाहिये जिसमें उनके कौशल विकास, प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिये. इसके साथ ही ‘स्वर्ण पर्यटन’ यात्रा भी शुरू की जा सकती है जिसमें भारतीय हस्तनिर्मित आभूषणों को दुनिया को दिखाया जा सकता है.
डब्ल्यूजीसी के अनुसार यह रिपोर्ट सोने की मांग व्यवस्थित करने, मूल्यवर्धन और रोजगार के अवसर बढाने और आभूषण उद्योग को संगठित तरीके से चलाने के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुये तैयार की गयी है. इससे आपूर्ति भी प्रभावित नहीं होगी और चालू खाते के घाटे पर भी बुरा असर नहीं पडेगा.
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