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इनकम टैक्स की नयी व्यवस्था : कम दर पर टैक्स के लिए छोड़नी होगी छूट व रियायतें, इनके लिए होगा फायदेमंद

इस बार वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए आयकर की पुरानी व्यवस्था के साथ एक नयी व्यवस्था भी शुरू की है. पहली बार करदाताओं को दो व्यवस्थाओं में से एक का चयन करना है. आइए, जानते हैं आयकर की नयी व्यवस्था को. बजट 2020-21 को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने शर्तों के साथ […]

इस बार वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए आयकर की पुरानी व्यवस्था के साथ एक नयी व्यवस्था भी शुरू की है. पहली बार करदाताओं को दो व्यवस्थाओं में से एक का चयन करना है. आइए, जानते हैं आयकर की नयी व्यवस्था को.
बजट 2020-21 को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने शर्तों के साथ आयकर की नयी स्लैब व्यवस्था को पेश किया है. साथ ही उन्होंने पुराने टैक्स व्यवस्था को भी बनाये रखा है.
ऐसा पहली बार हो रहा है जब करदाताओं के सामने दो-दो तरह की टैक्स व्यवस्था दी गयी है. अब करदाताओं को तय करना है कि वे किस व्यवस्था को अपनाना चाहते हैं. इस नयी पहल के बाद लोगों को अब दोनों टैक्स व्यवस्थाओं के तहत टैक्स की गणना करनी होगी और फिर तय करना होगा कि उनके लिए कौन सी व्यवस्था सही रहेगी. जहां पुरानी व्यवस्था में उच्च दर पर टैक्स की गणना के विभिन्न तरह के छूट प्राप्त करने का अवसर जारी रहेगा, वहीं नयी व्यवस्था के तहत कम दर पर टैक्स भुगतान करने का विकल्प मिलेगा. ऐसा अनुमान है कि इससे 20-30 प्रतिशत लोगों को लाभ होगा.
नयी टैक्स व्यवस्था
नये बजट में पेश की गयी नयी टैक्स व्यवस्था में कम दर वाले नये स्लैब बनाये गये हैं. इसे अनिवार्य नहीं किया गया है. यह उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद है जो अभी तक टैक्स बचाने के लिए किसी तरह का निवेश नहीं कर पाये हैं और वे आयकर अधिनियम के तहत मिलनेवाली छूट का कोई लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
नयी टैक्स व्यवस्था में 5 से 7.5 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. 7.5 लाख से 10 लाख तक की आय पर 15 फीसदी, 10-12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी और 12.5 लाख से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा. 15 लाख से ज्यादा की आय पर 30 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.
डिडक्शन और एग्जेंप्शन का नहीं मिलेगा लाभ
नयी व्यवस्था के साथ सरकार ने शर्त भी लगा दी है. नयी व्यवस्था को अपनाने वाले करदाताओं को आयकर कानून के चैप्टर छह-ए के तहत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन और एग्जेंप्शन का फायदा नहीं मिलेगा. यानी नया टैक्स स्ट्रक्चर को चुनने वाले स्टैंडर्ड डिडक्शन, होम लोन, एलआइसी, हेल्थ इंश्योरेंस आदि अन्य टैक्स सेविंग निवेश विकल्पों में निवेश नहीं कर सकेंगे. और अगर वे निवेश करते भी हैं तो उसपर कोई छूट नहीं मिलेगी.
इन बड़ी टैक्स छूट को छोड़ना होगा
वेतन प्राप्त करने वाले कर्मचारियों को मिलने वाला 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन नहीं मिलेगा. सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाले सामान्य डिडक्शन भी नयी व्यवस्था में नहीं मिलेंगे. सेक्शन 80सी के तहत प्रोविंडेंट फंड के योगदान, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, दो बच्चों के स्कूल की ट्यूशन फीस और इएलएसएस, एनपीएस, पीपीएफ में किये गये निवेश पर छूट का क्लेम किया जाता है.
लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए) की छूट भी नयी टैक्स व्यवस्था में यह छूट नहीं मिलेगी.
हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए): किराये के घर में रहने पर सैलेरी में मिलने वाले एचआरए की छूट नहीं मिलेगी.
नयी टैक्स व्यवस्था के अंदर सेक्शन 80टीटीए/80टीटीबी के तहत मिलने वाला डिडक्शन नहीं उपलब्ध होता है. 80टीटीए में सेविंग्स डिपॉजिट के ब्याज और 80टीटीबी के तहत सीनियर सिटीजन के डिपॉजिट पर ब्याज पर छूट मिलता है.
कर्मचारियों को मिलने वाला एंटरटेनमेंट अलाउंस और सेक्शन 16 के तहत एंप्लोयमेंट / प्रोफेशनल टैक्स के तहत छूट नहीं मिलेगा.
सेक्सन 24 के अंदर खुद के घर या खाली प्रॉपर्टी के लिए होम लोन की ब्याज पर मिलने वाला छूट नहीं मिलेगा.
सेक्शन 57 के अंदर फैमिली पेंशन पर मिलने वाले 15000 रुपये तक की छूट भी नहीं मिलेगी.
80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट नहीं मिलेगा.
80इ के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर छूट नहीं मिलेगा.
हर साल चुन सकेंगे नयी या पुरानी व्यवस्था
बजट पेश होने के बाद अब दोनों व्यवस्था करदाताओं के सामने है. दोनों व्यवस्था में से कौन सी व्यवस्था किसके लिए अनुकूल है और किसके लिए नहीं, यह टैक्स कैलकुलेशन के बाद ही पता चल पायेगा. ऐसे में सरकार ने हर साल दोनों व्यवस्थाओं में से किसी एक को चुनने की छूट दी हैं. यह सुविधा बिजनेस चलाने वालों के लिए नहीं है.
इनके लिए होगा फायदेमंद
वे लोग जो कटौती और छूट का लाभ नहीं ले पाते हैं. इनमें वे लोग शामिल हैं जिनकी नयी नौकरी लगी हो, जिसने मकान खरीदने के बारे में नहीं सोचा है या जिसकी भविष्य निधि, बीमा में बहुत कम बचत हो.
पेंशन पर गुजारा करने वाले वरिष्ठ नागरिक, जिन्हें न तो कोई मकान खरीदना होता है और न ही पीएफ में पैसा रखना होता है.
छोटे कारोबारी जिन्हें एलटीसी और आवास भत्ते का लाभ नहीं मिलता है.
80सी
प्रोविंडेंट फंड, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, बच्चों के लिए स्कूल की ट्यूशन फीस और इएलएसएस, एनपीएस, पीपीएफ
सेक्शन 24
खुद के घर या खाली प्रॉपर्टी के लिए लिये गये होम लोन की ब्याज राशि पर मिलनेवाली छूट
80टीटीबी
सीनियर सिटीजन सेविंग्स डिपॉजिट पर मिलने वाले
ब्याज पर छूट
80डी, 80इ
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट और एजुकेशन लोन के ब्याज पर छूट

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