नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम्रपाली के घर खरीदारों को 31 जनवरी तक बकाया राशि का भुगतान किस्तों में या एक बार में करने के निर्देश दिये हैं, ताकि आम्रपाली की फंसी परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लायी जा सके. अदालत ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनबीसीसी को आम्रपाली की आठ परियोजनाओं का काम पूरा करने का निर्देश दिया है. इनमें आम्रपाली जोडियाक, सफायर फेज 1 और फेज 2, सिलिकॉन सिटी 1 और 2, प्रिंसली एस्टेट , सेंचुरियन पार्क लो राइज और O2 वैली शामिल हैं. नोएडा और ग्रेटर नोएडा की इन परियोजनओं में करीब 11,258 फ्लैट हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 28 बैंकों से भी एक महीने के भीतर घर खरीदारों को लंबित रकम का वितरण करने के लिए कहा है. इन बैंकों ने आवास ऋण देने के लिए सीधे घर खरीदारों या फिर आम्रपाली समूह के जरिये खरीदारों के साथ करार किया था. अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा है कि क्या केंद्र द्वारा घोषित 25,000 करोड़ रुपये के कोष से कुछ राशि का उपयोग कर्ज के रूप में अटकी पड़ी आम्रपाली परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है और इसके क्या तौर-तरीके हैं.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और यूयू ललित की पीठ ने कहा कि करीब 3000 करोड़ रुपये के बकाये में घर खरीदारों ने अब तक सिर्फ 105 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. हम घर खरीदारों को 31 जनवरी, 2020 तक लंबित राशि का भुगतान किस्तों या फिर एक बार में करने का निर्देश देते हैं. इससे पहले सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह ने अदालत को सूचित किया कि एजेंसी को पहली नजर में ही मामले में बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मार्गन द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून 1999 (फेमा) के उल्लंघन के सबूत मिले हैं. इस दौरान कंपनी के भारत में प्रमुख की आम्रपाली समूह के साथ किये गये लेनदेन के बारे में बयान को रिकॉर्ड भी किया गया.
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