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स्पेशल सिचुएशन फंड और एमएनसी फंड

नवीन पटेल, निवेश सलाहकार, पटना बाजार में भी सुस्ती का माहौल आ गया है. शेयर बाजार की गिरावट से लोग परेशान हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इन विकट परिस्थितियों में कहां निवेश करना उचित होगा. इक्विटी की बुरी स्थिति को देखते हुए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स भी निगेटिव रिटर्न दिखा रहे हैं. […]

नवीन पटेल,
निवेश सलाहकार, पटना
बाजार में भी सुस्ती का माहौल आ गया है. शेयर बाजार की गिरावट से लोग परेशान हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि इन विकट परिस्थितियों में कहां निवेश करना उचित होगा. इक्विटी की बुरी स्थिति को देखते हुए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स भी निगेटिव रिटर्न दिखा रहे हैं.
हालांकि सरकार ने बाजार में भावनाओं को बेहतर बनाने के लिए एफपीआइ, जीएसटी, बैंकिंग और एनबीएफसी पर कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. इसके बावजूद बाजार में उतार-चढ़ाव लगातार देखा जा रहा है. बढ़ते उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए, निवेशकों को म्यूचुअल फंड में निवेश करते रहना चाहिए. लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव का इसमें असर नहीं होता. इसमें एकमुश्त निवेश करने के बजाय मासिक या तिमाही निवेश करते रहना चाहिए.
वैसे तो बाजार में बहुत सारे म्यूचुअल फंड की योजनाएं उपलब्ध हैं. लेकिन इनमें से अच्छी योजनाओं का चयन किया जाना फायदेमंद होता है. स्पेशल सिचुएशन फंड और एमएनसी फंड भी इसी तरह की अच्छे विकल्प हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं.
स्पेशल सिचुएशन फंड
कंपनियों के परिचालन में बीच-बीच में और समय-समय पर विशेष परिस्थितियों का निर्माण होता रहता है. ऐसी परिस्थितियां एक फंड प्रबंधक के समक्ष निवेश के मौके लेकर आती हैं. इनका फायदा उठाने के लिए कोई जरूरी नहीं है कि आप एक डाइरेक्ट इक्विटी निवेशक ही हों, आपका इक्विटी म्यूचुअल फंड ऐसी परिस्थितियों में कारगर साबित हो सकता है.
क्या होती है विशेष परिस्थितियां
विशेष परिस्थितियां तब आती हैं, जब कोई कंपनी, सेक्टर या अर्थव्यवस्था अस्थायी रूप से संकट में हो. ऐसा सरकार द्वारा उठाये गये कोई कदम, नियामकों में बदलाव या वैश्विक घटनाचक्र अथवा अनिश्चतताओं से उत्पन्न हो सकता है. जितनी बड़ी अनिश्चितता होती है, पैसे बनाने के उतने बड़े अवसर होते हैं.
मौजूदा बाजार की आठ विशेष परिस्थितियां
बैंक : हाल फिलहाल एनबीएफसी सेक्टर तरलता की समस्या से जूझ रहा है. यह समस्या कॉरपोरेट बैंकों के लिए एक विशेष अवसर लेकर आया है, जिनके पास पहले से ही लाइबिलिटी फ्रेंचाइजीज हैं, क्योंकि एनबीएफसी ही बैंकों के लिए एक बड़े प्रतिस्पर्धी माने जाते हैं.
मेटल और कमोडिटी : जिस तरह से अमेरिका और चीन में कारोबारी युद्ध को लेकर ठनी हुई है, उससे मेटल और कॉमोडिटी के सेक्टर में विशेष परिस्थितियों का निर्माण हो गया है.
तेल कंपनियां : सरकारी तेल कंपनियों में भी कई स्तरों पर विशेष परिस्थितियों का निर्माण हुआ है, जिसमें दो मुख्य घटनाक्रम सामने आये हैं. पहला यह कि बाजार में यह चिंता है कि विनिवेश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकारी तेल कंपनियों का उपयोग किया जा सकता है और दूसरा अमेरिका द्वारा इरान पर प्रतिबंध लगाये जाने की परिस्थिति में तेल की कीमतों में इजाफा हो सकता है.
फार्मा : इस क्षेत्र में दो प्रमुख घटनाएं घटी हैं. पहला, अमेरिका और चीन के बीच छिड़ा हुआ व्यापार युद्ध और दूसरा पिछले कुछ सालों में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा फार्मा कंपनियों को जारी की गयी नोटिस.
पावर : पावर सेक्टर के समक्ष मौजूद चुनौतियां निवेश का एक अच्छा अवसर प्रदान कर रही हैं.
ऑटो और उसके कलपूर्जे : चीन की मंदी, ब्रेक्जिट और लग्जरी कार के सेगमेंट में वैश्विक स्तर पर सुस्ती जैसे कारकों ने ऑटो और कलपूर्जों के क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का निर्माण किया है.
दूरसंचार: दूरसंचार क्षेत्र में नयी कंपनियों के आने के बाद भी कीमत को लेकर युद्ध शुरू हो चुका है और यह एक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है और इन्हीं कारकों ने इस क्षेत्र में विशेष परिस्थितियों का सृजन किया है.
सूचना प्रौद्योगिकी : तेजी से उभरते हुए आइटी सेक्टर शेयरधारकों के लिए संपत्ति सृजन करने का पिछले कई सालों से एक बड़ा स्त्रोत बना हुआ है. हालांकि बीच-बीच में इसके समक्ष कई चुनौतियां भी आयी, जिसका इसने हल भी ढूंढ़ निकाला.
मल्टी नेशनल कंपनियां फंड
बहुराष्ट्रीय कंपनियां (एमएनसी) अपने कुशल प्रबंधन, पारदर्शी संचालन, वैश्विक मानकों के पालन और सक्षम उत्पाद के लिए जाने जाते हैं. इनके संचालन की सरासर मात्रा विश्व आर्थिक व्यवस्था में उनके महत्व पर जोर देती है.
एमएनसी कंपनियां अपने बिजनेस मॉडल में स्थिरता के कारण लगातार बेहतर परफार्म कर रही हैं. इनमें से कई कंपनियों को अपने समकक्ष कंपनियों की तुलना में तकनीकी बढ़त हासिल है और वे मजबूत वैश्विक ब्रांड बन चुके हैं. इनमें से ज्यादातर बाजार में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और बेहतर रिटर्न भी प्रदान कर रहे हैं. इस श्रेणी में आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल, एबीएसएल और यूटीआई ने पहल की है और अपनी एमएनसी फंड बाजार में उतारे हैं.
बाजार में कुछ म्यूचुअल फंड के कई ओपन एंडेड इक्विटी स्कीम उपलब्ध हैं, जो एमएनसी थीम का अनुसरण करती हैं. इस तरह के फंड उन एमएनसी कंपनियों का चयन करतीं हैं जिनका प्रदर्शन अच्छा होता है और फिर उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों में निवेश करती हैं. इन योजनाओं में डाइवर्सिफिकेशन दिखता है. एमएनसी थीम खुद ही एक डाइवर्सिफाइड योजना होती है जिसमें विभिन्न तरह के मार्केट कैप और भिन्न-भिन्न सेक्टर में निवेश किया जाता है. एमएनसी कंपनियां तीन तरह के वर्गों में विभाजित हैं.
भारतीय मल्टी नेशनल कंपनियां: दुनिया भर में व्यापार के संचालन के साथ भारत में संचालित कंपनियां. भारत में सूचीबद्ध बहु-राष्ट्रीय कंपनियां : विदेशी कंपनियां जिनका भारत में व्यावसायिक संचालन है और वे भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हैं.
वैश्विक बहुराष्ट्रीय कंपनियां : विदेशी कंपनियां जिनके पास दुनिया भर में व्यावसायिक संचालन हैं, लेकिन वे भारत के स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध नहीं हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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