नयी दिल्ली : संसद ने मंगलवार को कंपनी (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान की. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद कारोबार में सुगमता बढ़ेगी. राज्यसभा ने वित्त मंत्री के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. यह विधेयक कानून बनने के बाद इससे संबंधित अध्यादेश का स्थान लेगा.
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इससे पहले वित्त मंत्री सीतारमण ने उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों से कारोबार में सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) बढ़ेगी और कारोबार सुगमता सूचकांक में भारत का स्थान बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि 2013 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार ने कंपनी अधिनियम पारित किया था, जिसमें लगातार संशोधन की मांगें उठती रहीं. उन्होंने कहा कि इस तरह के संशोधनों को सरकार अपनी इच्छा से नहीं लाती, बल्कि सभी हितधारकों की मांगों के अनुरूप लाया जाता है.
कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के प्रावधान पर विभिन्न सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि सीएसआर के लिए कंपनियों को तीन साल की अवधि दी गयी है और पहले साल में उन्हें इसके व्यय के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पूरी करनी है. उन्होंने साफ किया कि कम से कम पांच करोड़ रुपये का लाभ अर्जित करने वाली अथवा एक हजार करोड़ रुपये सालाना कारोबार वाली या 500 करोड़ रुपये शुद्ध परिसंपत्ति (नेट वर्थ) वाली कंपनियां सीएसआर के दायरे में होंगी.
उन्होंने कहा कि सीएसआर का प्रावधान सभी कंपनियों पर लागू नहीं होगा. संशोधन के बाद अब कंपनियों को यह बताना होगा कि सीएसआर की राशि कितनी है और कहां खर्च किया गया. इतना ही नहीं, सीएसआर का पैसा खर्च नहीं किये जाने पर प्रधानमंत्री राहत कोष सहित सातवीं अनुसूची में प्रावधानित किसी भी मद में स्थानांतरित कर दिया जायेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि जब मूल कानून लाया गया तो उसमें निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) का जो प्रावधान किया गया है, उसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत की अवधारणा शामिल है. सीतारमण ने कहा कि मूल कानून 2013 में पारित किया गया था. उस समय स्थायी समिति ने विधेयक पर गंभीरता से विचार किया था.
उन्होंने कहा कि इस कानून के मामले में तेजी से बदलाव देखे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक में कंपनी के पंजीकृत पते की भौतिक जांच करने का अधिकार कंपनी रजिस्ट्रार को दिया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में कंपनी के पते के नाम पर मात्र पोस्ट बैग नंबर के सहारे ही कुछ कंपनियां चलायी जा रही थीं.
सीतारमण ने कहा कि कंपनियों के पते के सत्यापन के प्रावधान से फर्जी कंपनियों पर लगाम लगेगी. उन्होंने बताया कि अब तक ऐसी चार लाख निष्क्रिय अथवा मुखौटा कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है, जो दो साल से काम नहीं कर रही थीं, न ही जिन कंपनियों का सालाना रिटर्न दाखिल किया गया था.
उन्होंने कहा कि इसमें कंपनियों के रजिस्टर से कंपनी का नाम हटाने के लिए कार्रवाई आरंभ करने के लिए पंजीयक को सशक्त करने वाले अधिनियम की धारा 12 का संशोधन करने की बात कही गयी है, यदि कंपनी इस अधिनियम के उपबंधों के अनुसार कोई कारोबार नहीं कर रही है. इसके तहत अधिनियम की सोलह धाराओं का संशोधन करने की बात कही गई है जिससे विशेष न्यायालय के भार को कम करने के लिए उक्त धाराओं में यथा उल्लिखित दंड को जुर्माने से बदलकर मौद्रिक दंड में बदला जा सके.
वित्त मंत्री ने कहा कि संशोधन के फलस्वरूप राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल पर काम का बोझ कम होगा, क्योंकि इसकी तमाम जिम्मेदारियों को केंद्र सरकार को सौंपने का इसमें प्रावधान किया गया है. इससे पहले चर्चा में हिस्सा लेते हुए अकाली दल के नरेश गुजराल, वाईएसआर कांग्रेस के विजयसाई रेड्डी, भाजपा के महेश पोद्दार, अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन, कांग्रेस के आनंद शर्मा, जदयू की कहकंशा परवीन और आप के एनडी गुप्ता, मनोनीत सदस्य नरेन्द्र जाधव और कांग्रेस की अमी याज्ञिक ने विधेयक में संशोधन प्रावधानों का समर्थन करते हुए कहा कि इससे देश में कारोबार सुगमता बढ़ेगी.
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