नक्सलवाद के नाम पर सुरक्षा बलों की गैर-कानूनी तरीके से तैनातीफोटो ट्रैक- चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया सिनोड का ‘दलित व आदिवासी नेतृत्व’ विषयक उन्मुखीकरण कार्यक्रमआदिवासियों को उनके संवैधानिक, कानूनी एवं पारंपरिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करेंसंवाददाता, रांचीचर्च ऑफ नार्थ इंडिया सिनोड की ओर से ‘दलित व आदिवासी नेतृत्व तैयार करने’ के विषय पर आयोजित उन्मुखीकरण कार्यक्रम में मानवाधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंंगडुंग ने कहा कि नक्सलवाद पनपने की बात कह कर केंद्र व राज्य सरकारें आदिवासी इलाकों में सुरक्षा बलों की गैर-कानूनी तरीके से तैनाती कर रही है. इसका मकसद आदिवासियों को सुरक्षा देना नहीं, बल्कि उनकी आवाज को दबा कर उनकी आजीविका के संसाधन – जल, जंगल, जमीन, खनिज को उनसे छीन कर पूंजीपतियों के हवाले करना है. इस कब्जे को आसान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन करने की भी योजना है. सामाजिक संगठन व चर्च आदिवासियों को उनके संवैधानिक, कानूनी एवं पारंपरिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करें. वह गुरुवार को एचपीडीसी सभागार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2001 से दिसंबर 2013 तक झारखंड में 5312 नक्सली वरदात हुए, जिनमें 460 पुलिस, 779 आम लोग एवं 1007 नक्सली सहित कुल 2246 लोग मारे गये हैं. नक्सलवाद की जड़ों को समझने के बजाय इसे बंदूक से समाप्त करने की जिद ने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया है. आदिवासियों की गरदन पुलिस और नक्सलियों की दो बंदूकों के बीच में फंसी है. कार्यक्रम में प्रदीप बनश्रीयर रेव्ह समूएल मल, रूबी हेब्रोम, विनीत मुंडू, रेव डॉ जेम्स मसीह व अन्य ने भी विचार रखे.
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