नयी दिल्ली : आम बजट से पहले का समय आमतौर पर उद्यमियों के लिए सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखने का होता है, लेकिन बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज के लिए सरकार से कुछ मांगने की बात तो दूर, बजट भाषण को सुनना देखना भी समय की बर्बादी है. बजाज ने सोमवार को दावा किया कि उन्होंने पिछले 28 साल से उन्होंने कोई बजट प्रस्तुति नहीं देखी है. उन्होंने कहा कि वह बजट देखने में चार घंटे बर्बाद करने के बजाय किसी उत्पाद पर काम करना पसंद करेंगे.
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बजाज ने कहा कि वह आने वाले समय में भी कभी बजट देखना पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि इसमें कुछ भी अर्थपूर्ण नहीं होता है. उन्होंने अगले महीने पेश होने जा रहे बजट से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि आपको हैरानी होगी कि पिछले 28 साल से मैं बजाज में हूं और मैंने एक बार भी बजट नहीं देखा है. बजाज ने कहा कि बजट देखने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ भी ऐसा नहीं होता है, जो आपके लिए फायदेमंद हो और बजट नहीं देखने का मेरी कंपनी पर कोई फर्क नहीं पड़ा है.
उन्होंने कहा कि बजट में यदि कोई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव होता है, तो उन्हें इसके बारे में व्हाट्सएप पर सूचित करने वाले कई लोग हैं. बजाज ने मीडिया और कंपनी कार्यकारियों की मौजूदगी में कहा कि चार घंटे तक सुनने और दिमाग पर जोर देने के बजाय बेहतर होगा कि किसी उत्पाद पर काम किया जाये. मैंने इसे न तो कभी देखा है और न इसे भविष्य में देखूंगा, आप (मीडिया) इसे रिपोर्ट कर सकते हैं.
हालांकि, बजाज ने बातचीत के दौरान दोपहिया वाहनों पर जीएसटी दर में कमी लाने के बारे में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि दोपहिया वाहनों को लक्जरी आइटम नहीं माना जाना चाहिए. मैं इस बात को मानता हूं कि देश में दोपहिया वाहनों को लक्जरी सामान मानने का कोई तर्क नहीं है. यह लक्जरी सामान नहीं है. यदि 28 फीसदी की दर से कर लक्जरी सामान पर लगता है और 18 फीसदी आम वस्तु पर लगाया जाता है, तो फिर मेरे हिसाब से (दोपहिया वाहनों) पर 18 फीसदी की दर से ही यह लगना चाहिए. हीरो मोटो कॉर्प और टीवीएस मोटर कंपनी ने भी इससे पहले सरकार से दो पहिया वाहनों पर जीएसटी दर को मौजूदा 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने की मांग की है.
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