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आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख, 31 जुलाई 2018, सजग होकर भरें रिटर्न

इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए अब सिर्फ नौ दिनों का वक्त बचा है, यानी अब आयकर रिटर्न भरने के लिए अधिक समय नहीं रह गया है. अगर अब तक आपने अपना आयकर रिटर्न नहीं भरा है, तो आखिरी दिन का इंतजार न करें. हो सकता है कि आयकर विभाग की वेबसाइट पर लोड बढ़ […]

इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए अब सिर्फ नौ दिनों का वक्त बचा है, यानी अब आयकर रिटर्न भरने के लिए अधिक समय नहीं रह गया है. अगर अब तक आपने अपना आयकर रिटर्न नहीं भरा है, तो आखिरी दिन का इंतजार न करें. हो सकता है कि आयकर विभाग की वेबसाइट पर लोड बढ़ जाने से तब वेबसाइट पूरी तरह साथ न दे पाये. अत: बिना समय गंवाये तुरंत ही अपना आयकर रिटर्न जमा कर दें.

साकेत मोदी, चार्टर्ड एकाउंटेंट

skmlks@gmail.com

वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा को कड़ाई से लागू करते हुए आयकर विभाग ने देर से रिटर्न भरनेवालों के लिए अतिरिक्त शुल्क का प्रावधान कर दिया है. सरकार ने इस बार से आयकर अधिनियम 1961 में धारा 234एफ को शामिल किया है.

यह पहली अप्रैल 2018 से लागू हो गया है. इसके अंतर्गत आयकर जमा करनेवालों को आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) में निर्धारित तिथि (31 जुलाई) के बाद आयकर रिटर्न भरने पर अतिरिक्त शुल्क का प्रावधान है, अर्थात वित्तीय वर्ष 2017-18 (एसेसमेंट इयर 2018-19) का आयकर रिटर्न निर्धारित समय सीमा पर नहीं भरनेवालों को यह अतिरिक्त शुल्क देना पड़ेगा. नये प्रावधानों के अनुसार अतिरिक्त शुल्क (पेनल्टी) के नियम इस प्रकार हैं:

अगर वार्षिक आय पांच लाख रुपये से कम है, तो 31 जुलाई 2018 के बाद आयकर रिटर्न भरनेवालों को एक हजार रुपये की अधिकतम पेनल्टी देनी होगी.

पांच लाख से अधिक आय वाले लोगों को 31 जुलाई 2018 के बाद आयकर रिटर्न भरने पर 5000 रुपये की पेनल्टी देनी होगी. वहीं, 31 दिसंबर 2018 के बाद रिटर्न जमा करनेवालों को 10,000 रुपये तक पेनल्टी देनी होगी.

गलतियों से बचें

आयकर रिटर्न भरने का काम साल में एक ही बार करना पड़ता है. अत: इसमें गलतियां होने की आशंकाएं अधिक होती है. अगर आप ऐसी गलती करते हैं, तो आयकर विभाग से रिफंड पाने से वंचित हो सकते हैं. साथ ही दंड के भी भागी बन सकते हैं. इसलिए सजग हो कर सावधानी से अपने आयकर रिटर्न फाइल करें.

किसके लिए जरूरी है रिटर्न दाखिल करना

आयकर जमा कर देने से ही आपकी जिम्मेदारियां खत्म नहीं होती. यदि वित्तीय वर्ष 2017-18 में आपकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो आपके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी है.ऐसा करने से रिफंड की प्रक्रिया तेजी से पूरी होती है और रिफंड में देर नहीं लगती.

गलत रिटर्न भरने के बाद क्या करें : यदि आपने आय या बचत गलत दर्ज कर दिया है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. आयकर विभाग आपको संशोधित रिटर्न दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है. आपको एक वर्ष के अंदर ही अपना संशोधित रिटर्न जमा करना होगा. वही संशोधित रिटर्न मान्य होगा.

इन बातों का रखें ध्यान

ई-फाइलिंग जरूरी है

यदि आपकी आय पांच लाख से अधिक है तो आपको रिटर्न को ई-फाइल करना अनिवार्य है. लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को इसमें छूट दी गयी है. वे कागजी स्वरूप में भी रिटर्न दाखिल कर सकते हैं.

होम लोन के ब्याज पर छूट सीमित है

आयकर अधिनियम की धारा 24(बी) के तहत सेल्फ ऑक्यूपाइड घर की दशा में होम लोन के ब्याज पर मिलने वाली छूट दो लाख तक सीमित थी, वहीं अगर घर कियाये पर दिया गया है तो यह छूट असीमित हुआ करती थी.

लेकिन इस वर्ष के रिटर्न में यह छूट भी दो लाख तक सीमित कर दी गयी है. चूंकि पहले से लोग असीमित छूट का लाभ लेते आ रहे हैं, इसलिए इस बार रिटर्न भरने में गलती होने की संभावना अधिक है. इस पर विशेष ध्यान दें.

सही व्यक्तिगत जानकरी दें

अपने आइटीआर फार्म में अपनी सभी व्यक्तिगत जानकारी सही-सही दें. अगर आप गलत जानकारी देंगे तो हो सकता है कि आपका रिटर्न किसी और के बैंक खाते में चला जाये. इसीलिए टैक्स रिटर्न बड़ी सतर्कता के साथ फाइल करें. एक बात का और ध्यान दें कि आप अपना सही इमेल की जानकारी दें जिसका आप बराबर उपयोग करते हैं. सारे नोटिस इमेल से ही भेजी जाती है.

फॉर्म 26 एएस पर दें ध्यान

फॉर्म 26 एएस आपके द्वारा किये गये करों के भुगतान का विवरण देता है. रिटर्न भरने से पहले इसे अच्छे से जरूर पढ़ना चाहिए. इससे टैक्स गणना में किसी भी तरह की गलती से आप बच जायेंगे और सही टैक्स रिटर्न दाखिल कर पायेंगे, लेकिन कभी-कभी यह देखा गया है कि बहुत बड़ी संख्या में बैंक व अन्य सरकारी संस्थान आपकी कटौती की गयी राशि का विवरण फॉर्म 26एएस में विलंब से अपडेट करते हैं.

ऐसी दशा में यदि आप टीडीएस क्लेम सिर्फ 26एएस पर ही निर्भर होकर करते हैं, और कटौती करने वाली संस्था विलंब से अपडेट करती है, तो एसेसमेंट के समय आयकर विभाग को आपके द्वारा दिखायी गयी टीडीएस और उस समय दिख रहे फार्म 26एएस में टीडीएस में अंतर दिखेगा. यह अंतर आपके रिटर्न की स्क्रूटनी का कारण बन जायेगा. आपको रिफंड भी कम आयेगा. इसलिए रिटर्न दाखिल करने से पहले अपने 26एएस के डाटा को अपने रिकाॅर्ड से मिला लें कि कटौती की गयी संपूर्ण राशि दिख रही है या नहीं.

अगर ऐसा नहीं है तो आपको उस संस्था द्वारा इसे जल्द से जल्द अपडेट करवाने के लिए पहल करनी चाहिए. क्योंकि अगर आपने अपने रिकाॅर्ड के अनुसार रिटर्न दाखिल किया और कटौती करने वाली संस्था समय पर अपडेट नहीं करती है तो भी टीडीएस में अंतर दिखेगा और मामला स्क्रूटनी में चला जायेगा.

बरतें सावधानी कम सैलरी न बताएं

टैक्स से बचने के लिए अपनी आय को छिपाना एक अपराध है. पकड़े जाने पर भारी दंड के साथ जेल भी जाना पड़ सकता हैं. इन दिनों, आयकर विभाग आसानी से आपके पैन के माध्यम से आपकी आय को जान सकता है. इसीलिए आप अपनी पूरी आय सही-सही बतायें.

गलत आईटीआर फॉर्म न भरें

आयकर विभाग ने अलग-अलग वर्गों के लिए अलग-अलग आइटीआर फॉर्म निर्धारित किये हैं, साथ ही उनमें व्यापक परिवर्तन किये हैं. इसलिए आपको अपने वर्ग की पहचान करते हुए सही आइटीआर फॉर्म चुनना होगा. अन्यथा आयकर विभाग इसे अस्वीकार कर देगा और फिर आपको संशोधित रिटर्न दखिल करना पड़ेगा.

कैपिटल गेन की जानकारी देना न भूलें

अगर आपने शेयर, म्यूचुअल फंड, सोना, प्रोपर्टी आदि में निवेश को बेच कर लाभ कमाया है, तो आपके लिए कैपिटल गेन टैक्स लगेगा और इसे आपको अपने आइटीआर में ‘इनकम फ्रॉम कैपिटल गेन’ कॉलम में दर्शाना होगा. इसमें गलती होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि अलग-अलग तरह के निवेश के लिए अलग-अलग दर पर कर का निर्धारण होता है. अत: किसी पेशेवर सलाहकार से मदद ले कर ही रिटर्न भरें.

टैक्स रिटर्न को वेरीफाई करें

पहली बार आयकर रिटर्न फाइल करनेवाले लोगों से यह गलती बहुत अधिक होती है. वे सोचते हैं कि उनके द्वारा आयकर रिटर्न भरने के बाद उनका काम खत्म हो गया है, जबकि रिटर्न फाइल करने के बाद उसे सत्यापित भी करना होता हैं. ऑनलाइन ई-फाइल करने के बाद आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल से अपने आयकर को वेरीफाई कर सकते हैं. इवीयू द्वारा सत्यापित कराने से रिफंड की प्रक्रिया में तेजी से पूरी होती है.

आयकर विभाग की रहती है पैनी नजर

आयकर विभाग सारे फिनांसियल लेन-देन पर नजर बनाये रखता है. अगर आपने किसी तरह की प्रोपर्टी की खरीद की है, वाहन खरीदा है, विदेश की यात्रा की है, शेयर की खरीद-बिक्री की है या बैंकों में ज्यादा कैश जमा किया है, सबकी जानकारी विभाग के पास रहती है. एसटीआर (स्पेशल ट्रांजेक्शन रिपोर्ट) व एआइआर (एनुअल इंफॉर्मेशन रिपोर्ट) से सभी तरह के कैपिटल गेन की जानकारी मिल जाती है. इसलिए हमेशा सही जानकारी भरें.

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