नयी दिल्ली: कंपनियों में दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्तकिये जाने वाले स्वतंत्र निदेशकों को हटाना अब आसान नहीं होगा. ऐसे निदेशकों को अब केवल शेयरधारकों द्वारा पारित विशेष प्रस्ताव से ही हटाया जा सकेगा. सरकार ने इस संबंध में नियमों को कड़ा बनाया है.
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कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के अनुसार, ऐसे निदेशकों को हटाये जाने से पहले उन्हें ‘उनका पक्ष रखने का उचित अवसर’ भी दिया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र निदेशकों की कामकाजी आजादी को लेकर हाल ही में चिंता जतायीगयी है. प्रवर्तक इकाइयों द्वारा ऐसे निदेशकों को हटाने की कई घटनाएं भी सामने आयीहैं. ऐसी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह कदम उठाया है.
स्वतंत्र निदेशकों को हटाने के लिए लाये जाने वाले विशेष प्रस्ताव पर बैठक में मौजूद कम से कम 75% शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी जरूरी है. सामान्य प्रस्ताव के लिए मात्र 50% शेयरधारकों की जरूरत होती है. नये प्रस्ताव पर मंत्रालय ने कहा कि इससे बेहतर कंपनी कार्य संचालन सुनिश्चित होगा और निदेशक मंडलों में शक्ति संतुलन भी अच्छा होगा.
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इस संबंध में मंत्रालय ने परेशानियों को दूर करने के लिए कंपनी कानून की धारा-169 के तहत एक नया प्रावधान जोड़ने के लिए ‘समस्या निदान आदेश’ जारी किया है. धारा-169 निदेशकों को हटाने से संबद्ध है.
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