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राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की घोषणा, 2025 तक जीडीपी तका 2.5 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की प्रक्रिया में विविध हितधारकों के साथ विस्तृत विचार विमर्श, क्षेत्रीय परामर्श, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण को केंद्रीय परिषद और मंत्रियों के समूह के अनुमोदन की आवश्यकता पर बल दिया गया है। नीति में 2025 तक जन स्वास्थ्य व्यय को उत्तरोत्तर जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है. […]
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की प्रक्रिया में विविध हितधारकों के साथ विस्तृत विचार विमर्श, क्षेत्रीय परामर्श, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण को केंद्रीय परिषद और मंत्रियों के समूह के अनुमोदन की आवश्यकता पर बल दिया गया है। नीति में 2025 तक जन स्वास्थ्य व्यय को उत्तरोत्तर जीडीपी के 2.5% तक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है. राज्य सरकारों से स्वास्थ्य के लिए उनके बजट परिव्यय को बढ़ाने का भी अनुरोध किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 को लागू करने के लिए एक प्रारूप क्रियान्वयन ढांचा भी तैयार किया गया है। सरकार ने स्वास्थ्य नीति को लागू करने हेतु सभी संबंधित प्राधिकारियों से भी अनुरोध किया है.
देश के नागरिकों विशेषकर गरीबों कों वहनीय स्वास्थ्य परिचर्या सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाये हैं जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:-
· सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में अनिवार्य औषधियां और निदान नि:शुल्क प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नि:शुल्क औषध एवं नि:शुल्क नैदानिक पहल का कार्यान्वयन।
· जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का कार्यान्वयन तथा संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम, राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम जैसे कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना, जहां क्षयरोगियों, एचआईवी, वेक्टर जनित रोगों के रोगियों को नि:शुल्क उपचार प्रदान किया जाए।
· व्यापक प्राथमिक परिचर्या प्रदानगी तथा प्रचारात्मक व स्वास्थ्य संवर्धन कार्यकलाप करने के लिए उप-स्वास्थ्य केन्द्र/पीएचसी को स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्रों में बदलने का निर्णय।
· उच्च रक्त चाप, मधुमेह तथा मुख, गर्भाशय व स्तन कैंसर के 5 सामान्य गैर संचारी रोगों की जांच व प्रबंधन
· जिला अस्पतालों में गरीबों के लिए नि:शुल्क डायलिसिस सेवाओं हेतु प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम
· अस्पतालों के सुदृढ़ीकरण, राज्यों में एम्स संस्थाओं की स्थापना और पूरे देश में मौजूदा सरकारी चिकित्सा कॉलेजों के उन्नयन के जरिए सरकारी क्षेत्र में तृतीयक स्वास्थ्य परिचर्या सेवाएं उपलब्ध करवाना
· राज्य सरकारों के सहयोग से “जन औषधि स्कीम” के अंतर्गत सभी के लिए वहनीय मूल्यों पर गुणवत्ता युक्त जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध करवाना
· राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, जिसमें परिवार फ्लोटर आधार पर स्मार्ट कार्ड आधारित नकद रहित स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है।
.स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, श्रीमती अनुप्रिया पटेल के द्वारा राज्य सभा में लिखित में उत्तर दिया गया
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