नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक अहम फैसला लेते हुए पेट्रोल व डीजल के उत्पाद शुल्क में दो रुपये तक की कमी कर दी. इससे बढ़ते पेट्रोलियम कीमतों से परेशान आमलोगों ने राहत की सांस ली. लेकिन, यह राहत फौरी ही है. कम कीमत पर पेट्रोल-डीजल का लाभ उपभोक्ताओं को बहुत लंबे समय तक नहीं मिलेगा. इसका कारण है अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमतें. यह अभी 56 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है. इस कारण ऑयल कंपनियां दबाव में हैं और वे आने वाले दिनों में पेट्रोलियम की कीमतेंबढ़ा सकती हैं. पिछले एक महीने में क्रूड ऑयल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त ढंग से बढ़ी हैं. अमेरिका से भी पेट्रोलियम सेक्टर के लिए अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं. वहां उत्पादन प्रभावित हुआ है.
मोदी सरकार 2014 में जब सत्ता में आयी थी, तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत अपने न्यूनतम स्तर पर थी जो अब लगातार ऊपर जा रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सस्ता पेट्रोलियम रहने के दौरान भी उसकी कीमतों में कमी नहीं करने के फैसले का बार-बार यह कह कर बचाव किया कि हम इस पैसे को देश के कोष में बचा कर रख रहे हैं, ताकि देश की आधारभूत संरचना में उसे निवेश किया जा सके.
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अब द्विसाप्ताहिक की जगह दैनिक आधार पर अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुसार, पेट्रोलियम कंपनियां कीमतों की समीक्षा करती हैं अौर उसे उसी अनुरूप में बढ़ाती व घटाती हैं. ऐसे में घरेलू कारणों व लाेकलुभावन नीतियों की जगह अंतरराष्ट्रीय मानदंड अधिक फॉलो किये जाते हैं. जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं तो इससे पेट्रोलियम कंपनी जबरदस्त दबाव में हैं. इस कारण वे अाने वाले दिनों में पेट्रोलियम की कीमतें लगातार बढ़ती नजर आ सकती हैं.
सरकार ने आलोचनाओं के बाद उत्पाद शुल्क में कमी तो कर दी है, लेकिन इससे सरकारी खजाने पर प्रत्येक साल 26 हजार करोड़ रुपये का अधिक दबाव पड़ेगा. जारी वित्तीय वर्ष में सरकार को इससे 13 हजार करोड़ रुपये की क्षति होगी. ध्यान रहे कि पूर्व में सरकार ने कहा था कि दिवाली के बाद पेट्रोलियम कीमतें कम होने लगेगी.
गिरती कीमतों पर सरकारी ने लगातार बढ़ाया उत्पाद शुल्क
जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें लगातार गिरनी शुरू हुई थी तो सरकार ने खजाने के लिए इसका लाभ लेने की योजना पर काम शुरू किया. जब क्रूड ऑयल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 30 डॉलर प्रति बैरल से नीचे चली गयी तब नवंबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच सरकार ने पांच बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ायी और यह पेट्रोल पर यह 4.02 रुपये एवं डीजल पर 6.97 रुपये हो गयी. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आंकड़ों को देखेंगे तो इस साल एक जुलाई को पेट्रोल पर 11.77 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी थी. मोदी सरकार ने 12 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई.
एनडीए सरकार के सत्ता में आने से पूर्व पेट्रोल पर 9.48 रुपये एवं डीजल पर 3.56 रुपये था. एनडीए सरकार में यह 21.48 रुपये एवं डीजल पर 17.33 रुपये तक हो गयी. यह वृद्धि मई 2014 की तुलना में 226 गुणा एवं 486 गुणा बढ़ी. इन दोनों उत्पादों की कीमतों में अबतक उत्पाद शुल्क का हिस्सा क्रमश: 30 प्रतिशत एवं 29 प्रतिशत है.
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