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Supreme court के फैसले के बाद बोले निलेकणि, Right to privacy मौलिक अधिकार है, लेकिन परम अधिकार नहीं

बेंगलुरु: निजता के अधिकार पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिये गये फैसले के एक दिन बाद इंफोसिस के नये चेयरमैन व देश में आधार के वास्तुकार नंदन निलेकणि ने शुक्रवार को कहा है कि आधार अपने मजबूत कानून अधिकार पर खरा उतरेगा, क्योंकि यह निजता के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय […]

बेंगलुरु: निजता के अधिकार पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिये गये फैसले के एक दिन बाद इंफोसिस के नये चेयरमैन व देश में आधार के वास्तुकार नंदन निलेकणि ने शुक्रवार को कहा है कि आधार अपने मजबूत कानून अधिकार पर खरा उतरेगा, क्योंकि यह निजता के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ‘सिद्धांतों ‘ को पूरा करता है. इंफोसिस में अपनी दूसरी पारी की शुरुआत के बाद पहली बार निवेशकों को संबोधित करते हुए निलेकणि ने कहा कि मेरी राय में सुप्रीम कोर्ट का यह बहुत शानदार फैसला है.

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निलेकणि ने कहा कि मेरी राय में मूलत: अदालत ने उचित रूप से यह कहा है कि यह मौलिक अधिकार है, लेकिन परम अधिकार नहीं है. उन्होंने कुछ तथ्य भी परिभाषित किये हैं, जिनके आधार पर यह किया जा सकता है.

निलेकणि ने जिक्र किया कि वास्तविक आधार मामला छोटी पीठ को जायेगा. इसके अनुसार, उन्हें पूरा भरोसा है कि आधार अपनी मजबूत नींव को साबित करेगा, क्योंकि वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय सभी सिद्धांतों पर खरा उतरता है.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक दूरगामी परिणाम वाले फैसले में निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया. इस फैसले का भारतीयों की भोजन की आदतों और यौन रुझान जैसी जीवन संबंधी पसंदों पर प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि मेरी राय में निजता को बुनियादी अधिकार माना गया है.

वहीं, इसने यह भी माना है कि व्यापक सामाजिक हितों में आप उन पर कुछ सीमाएं भी लगा सकते हैं. उन्होंने कहा कि न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा की अगुआई वाली समिति को डेटा संरक्षण के लिए रूपरेखा सुझाने को कहा गया है.

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