नयी दिल्ली: बैंकों के विलय का विरोध एवं अन्य मांगों को लेकर सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की मंगलवार को देशव्यापी हड़ताल के कारण सामान्य बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित हुईं. देश के विभिन्न भागों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी बैंकों की शाखाओं के साथ निजी क्षेत्र के कुछ पुराने बैंकों में में जमा, निकासी, चैक समाशोधन, एनईएफटी और आरटीजीएएस लेन देन प्रभावित हुए. हालांकि, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक तथा एक्सिस बैंक जैसे नयी पीढ़ी के बैंकों की शाखाओं में कामकाज सामान्य रहे.
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हडताल का असर मुंबई, कोलकाता, पटना, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, अहमदाबाद, पुणे तथा जयपुर जैसे बडे कारोबारी केंद्रों पर हड़ताल का असर देखा गया. वहीं, कुछ छोटे शहरों में एटीएम में नकदी नदारद रही. भारतीय बैंक संघ (आईबीए) पहले ही ग्राहकों को यह सूचित कर चुका था कि एक दिन की हड़ताल से बैंक शाखाओं में कामकाज प्रभावित हो सकता है. आईबीए ने बैंकों से हड़ताल के प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने को कहा था.
हडताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के तत्वाधान में विभिन्न यूनियनों ने किया था. यूएफबीयू बैंकिग क्षेत्र के नौ यूनियनों का शीर्ष संगठन है. इसमें ऑल इंडिया बैंक आफिसर्स कान्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया एंप्लायज एसोसिएशन (एआईबीईए) तथा नेशनल ऑर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) शामिल हैं.
एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकार बैंकों के ऐसे समय विलय की बात कर रही है, जब भारत को और बैंकिंग सेवाओं की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय से बैंक शाखाएं बंद होगी जैसा कि एसोसिएट बैंकों के विलय के बाद एसबीआई के मामले में हो रहा है. विलय से बडे बैंकों के गठन से बैंकों के लिये जोखिम बढेगा.
एआईबीओसी के महासचिव डीटी फ्रांको ने मांग की कि सरकार को बैंक कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी सीमा बढाकर तत्काल 20 लाख रुपये करने चाहिए. एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मचारियों ने कई घंटे अतिरिक्त काम किया है और उन्हें इसके लिए ‘ओवरटाइम ‘ दिया जाना चाहिए. उल्लेखनीय है कि देश के पूरे बैंकिंग कारोबार में 21 सार्वजनिक बैंकों की 75 फीसदी हिस्सेदारी है.
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