नयी दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पूंजी बाजार नियामक सेबी को और अधिक शक्तियां देने वाले अध्यादेश को फिर से मंजूरी दे दी. इस अध्यादेश के जारी होने से सेबी अध्यक्ष को किसी जांच एजेंसी अथवा किसी अन्य अधिकारी को तलाशी और जांच के लिये नियुक्त करने का अधिकार मिल जायेगा.
सेबी को यह अधिकार विशेष तौर पर अवैध तौर पर चलाई जाने वाली सामूहिक निवेश योजनाओं और पोंजी योजनाओं के खिलाफ कारवाई करने में मदद करेगा. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा, ह्यह्यराष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सेबी अध्यादेश को पुन: मंजूरी दे दी है. सेबी को और अधिकार देने वाला पहला अध्यादेश 15 जनवरी को समाप्त हो गया था। संसद के शीतकालीन सत्र में प्रतिभूति कानून :संशोधन: विधेयक 2013 को मंजूरी नहीं दी जा सकी थी.
संसद में इसके पारित नहीं होने की स्थिति में वित्त मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से सेबी अध्यादेश को तीसरी बार जारी किये जाने की संभावनाओं के बारे में उसकी राय मांगी थी.केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड :सेबी: अधिनियम 1992 को मंजूरी दिये जाने के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पहली बार इस अध्यादेश को 18 जुलाई 2013 को मंजूरी दी थी. इसके बाद इसी अध्यादेश को फिर से 16 सितंबर को जारी किया गया.
अध्यादेश के अनुसार सेबी 100 करोड अथवा इससे अधिक की धन जुटाने वाली किसी भी योजना का नियमन कर सकता है, नियमों का अनुपालन नहीं होने की स्थिति में संपत्ति कुर्क कर सकता है और सेबी अध्यक्ष ह्यह्यतलाशी और जब्ती अभियान चलाने का आदेश भी दे सकते हैं.अध्यादेश में सेबी को शेयरों में लेनदेन अथवा सौदों की जांच के संबंध में किसी व्यक्ति अथवा उद्यमी के टेलीफोन कॉल का ब्यौरा प्राप्त करने का भी अधिकार दिया गया है.
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