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ज्ञानेंद्र रावत

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जलवायु परिवर्तन और चक्रवात

बीते वर्ष मई में आये अम्फान तूफान, जून में आये निसर्ग तूफान और नवंबर में आये निवार तूफान से भी अधिक भयावह तौकते तूफान है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ और तेज हवाओं का इसे भयावह बनाने में अहम योगदान है.

बढ़ते तापमान के भयावह खतरे

केन्या की पर्यावरणविद् और नोबेल पुरस्कार विजेता बंगारी मथाई ने एक समय कहा था कि सभ्य होना है, तो जंगलों का साथी बनो, प्रकृति से जुड़ो, उससे प्रेम करो.

वर्षाजल संरक्षण ही संकट का समाधान

जल संग्रहण क्षमता सीमित होने के कारण वर्षा का अधिकांश पानी नदियों से होकर समुद्र में बेकार चला जाता है. सभी सरकारों के लिए यह गंभीर चुनौती है.

बादल फटने की गंभीर त्रासदी

भले भारत का प्राकृतिक आपदा से प्रभावित 171 देशों की सूची में 78वां स्थान है, लेकिन हमें संभावित खतरों से निबटने हेतु त्वरित प्रयास तो करने ही होंगे.

भारी बारिश के कारणों की पड़ताल

इस साल सितंबर में हुई बारिश का प्रमुख कारण माॅनसून का देरी से विदा होना, निम्न दबाव प्रणाली का जल्दी बनना और जलवायु परिवर्तन है.

जलवायु परिवर्तन से शीतलहर

शीतलहर के प्रकोप से आनेवाले 15-20 दिनों तक राहत मिलने के आसार नहीं हैं. नतीजतन शहरों में प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक स्तर पर रहेगा.