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अनिल प्रकाश

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जीवनशैली से ही संकट में जीवन

सभी लोग अगर प्रकृति के प्रति समान दृष्टि रखेंगे और उसको संजोने का काम करेंगे, तभी हम प्रकृति को बचा पायेंगे. उसमें भी सबसे महत्वपूर्ण पहलू होगा कि हम फिर सरल जीवनशैली का आह्वान करें.

प्रकृति ही सबसे बड़ा धर्म

अपने देश में भी हिंदुओं पर हनुमान जी की कृपा नहीं बनी और इसी तरहइस्लाम में भी अल्लाह के बंदे को इसकी नेमत हासिल नहीं हुई.

पर्यावरण का आकलन आवश्यक

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ-साथ सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) का भी विकास में समानांतर उल्लेख होना आवश्यक है.

प्रकृति को लेकर चिंतन का समय

सच कहा जाए, तो अभी संभलने का समय है, साथ ही सामूहिकता का भी सवाल है. हम सरकार और समाज के साथ मिल कर यह चिंतन करें कि प्रकृति के प्रति हमारा व्यवहार किस तरह का होना चाहिए.

वनाग्नि में झुलसता वनों का भविष्य

भारत में 35.47 प्रतिशत वन ऐसे हैं, जिन्हें आग की दृष्टि से ज्यादा संवेदनशील माना गया है. तीन लाख से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं पिछले साल हुईं और नवंबर से अब तक आठ हजार से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं.

बिगड़ती आबोहवा की करें चिंता

आज वायु का प्रदूषण दुनिया में एक नये पैमाने के साथ मापा जाना चाहिए और इसको सीधे जीवनशैली से जोड़ कर देखा जाना चाहिए. जीवन ही नहीं होगा, तो हम किस शैली को लेकर आगे बढ़ें, ये सोचने का समय भी नहीं बचेगा?