– 1975 से निराला निकेतन में किया जा रहा था समारोह- महाकवि की मौत के बाद भी पत्नी छाया देवी ने जारी रखी थी परंपरा- 40 वर्ष के बाद पहली बार सन्नाटे में रहेगा निराला निकेतनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. शहर के साहित्यिक तीर्थ स्थली निराला निकेतन में सरस्वती पूजन व निराला जयंती की परंपरा इस बार टूट गयी. पिछले 40 वर्षों से यहां हर वर्ष मां सरस्वती की पूजा मंत्रोच्चारण के साथ श्रद्धापूर्वक की जाती थी. उसके बाद महाप्राण निराला की जयंती मनायी जाती थी. मौके पर शहर के साहित्यकारों के अलावा बाहर से आये रचनाकारों का मेला लगा रहता था. देर रात तक चले कवि सम्मेलन में भाषाई एकता के स्वर भी गूंजते थे. यहां इस परंपरा की शुरुआत महाकवि आचार्य जानकीवल्लभ ने 1975 में शुरू थी. वे खुद पूजा पर बैठते थे. इसके बाद निराला जयंती में वे अपने गीतों का सस्वर पाठ करते थे. उन्हें सुनने के लिए भी यहां लोगों का मेला लगा रहता था. महाकवि के बीमार पड़ने के बाद भी यह सिलसिला चलता रहा. महाकवि की पत्नी छाया देवी के नेतृत्व में आयोजन हुआ करता था. महाकवि की मृत्यु के बाद भी आयोजन में कोई फर्क नहीं आया. छाया देवी ने गंभीर रू प से बीमार होने के बाद भी इस परंपरा को टूटने नहीं दिया. अब उनके नहीं रहने के बाद इस बार यहां यह समारोह नहीं होगा. जानकीवल्ल्भ न्यास के कार्यकारी सचिव जयमंगल मिश्र ने कहा कि ट्रस्ट की ओर से इस बार आयोजन नहीं किया जा रहा है.
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टूट गयी सरस्वती पूजन व निराला जयंती की परपंरा
– 1975 से निराला निकेतन में किया जा रहा था समारोह- महाकवि की मौत के बाद भी पत्नी छाया देवी ने जारी रखी थी परंपरा- 40 वर्ष के बाद पहली बार सन्नाटे में रहेगा निराला निकेतनवरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर. शहर के साहित्यिक तीर्थ स्थली निराला निकेतन में सरस्वती पूजन व निराला जयंती की परंपरा इस बार […]
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