20 अप्रैल से पुनः शुरू होगी यूपी की ग्रामीण विकास यात्रा स्ंजय दुबे ( स्वतंत्र पत्रकार )
भूमिका निभायेंगे लौटे प्रवासी मजदूर
बदल सकती है प्रदेश की सूरत और सीरत
20 अप्रैल से उत्तर प्रदेश में लाकडाउन 2.0 में ढील मिलने के साथ विकास की खटर पटर भी चालू हो जाएगी। खेती,किसानी के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में निर्माण क्षेत्र को भी इस दिन से काम धाम के लिए खोला जाएगा। ऐसा राज्य के मुखिया योगी आदित्यनाथ का आदेश है। इस आशय की सूचना यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह, अवनीश अवस्थी ने दी। इसके संबध में और उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों संग बैठक में ये भी कहा कि ये सारे कार्य कंेद्र सरकार द्धारा जारी गाइडलाइन के अधीन होंगे। इसकी सबसे खास बात ये है कि लाकडाउन के चलते देश के अन्य राज्यों से वापस आए प्रवासी मजदूरों को भी प्रमुखता से रोजगार दिया जाएगा। इसके लिए उनका मनरेगा कार्ड भी तत्काल बनाया जायेगा। इतना ही नहीं अगर किसी परिवार का कोई सदस्य कोविड-19 जनित आपदा में शहर से गांव लौटा है। गांव में उसके परिवार को जारी जाबकार्ड में उसका नाम शामिल नहीं है। ऐसे में, उसका नाम तत्काल कार्ड में जोड़ा जायेगा। ऐसा आदेश ग्राम्य विकास विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने जारी कर संबधित अधिकारियों को निर्गत करते हुए कहा है कि कोविड महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है। जिससे वहां पर पहले से ही रह रहे मजदूरों में जो अन्य किसी दैनिक रोजगार में लगे है,उन पर दबाब आना स्वाभाविक है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों को जाब कार्ड तत्काल जारी किया जायेगा। यदि किसी कारणवश पहले का जारी कार्ड मजदूर को नहीं मिल रहा है तो भी उसे उसकी द्धितीय प्रति जारी की जाएगी।
ऐसा करते हुए ग्राम पंचायतों को वंचित वर्ग पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। जैसे-मुसहर, थारू, विधवाओं, दिव्यांग मुखिया परिवार को विशेष प्राथमिकता देनी होगी। इस कार्य योजना के दीर्घकालिक परिणाम मिलेंगे। इसे कैसे पूरा किया जाएगा? उसका बाकायदा एक ड्राफ्ट राज्य सरकार ने तय किया है। विंध्य, बुंदेलखंड जैसे दुरूह इलाकों में अभी से सिंचाई परियोजनाओं सहित जल संरक्षण जैसी योजनाओं को चलाने को कहा गया है। इसके लिए व्यक्तिगत, सामुदायिक स्तर पर बनने वालें कूपांे, चेकडैमों, मछली पालन हेतु तालाबों के निर्माण को प्रमुखता दी जायेगी। वर्षा जल संरक्षण, वृक्षारोपड़, तालाबों, नहरों की सफाई जैसे काम किये जायेंगे। इतना ही नहीं मृदा की भरण,उर्वर क्षमता को बढ़ाने के उपाय भी इसमें शामिल है। इस योजना को जिस तरीके से बनाया गया है और अगर ये कारगर रूप से लागू हो गयी तब प्रदेश की सूरत सीरत दोनों बदलनी तय है। यूपी के मौजूदा मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली की चर्चा समूचे देश में हीे रही है। जिस तरह से उन्होंने दिल्ली बार्डर से प्रदेश के मजदूरों और कोटा से छात्रों को अपने यहां बुलाया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना समेत अन्य दक्षिणवर्ती राज्यों के तीर्थयात्रियों को काशी से रिजर्व बसों से उनके घरों को भेजा है उससे उनके व्यक्तिगत छवि के साथ साथ प्रदेश की भी छवि देश में चमकी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि उनकी ये योजना प्रदेश वासियों को समृद्धि की ओर ले जायेगी।
