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बिहार : कांग्रेस को देनी पड़ी बड़ी कुर्बानी, महागठबंधन में बने रहने के लिए पारंपरिक सीटें भी छोड़ दी

पटना : कांग्रेस को महागठबंधन में बने रहने के लिए बड़ी कुर्बानी देनी पड़ रही है. पार्टी को उम्मीद थी कि महागठबंधन में उसे सम्मानजनक सीटें हासिल होंगी. पर, आलम यह है कि उसे अपनी पारंपरिक सीटों से भी बेदखल होना पड़ा है. औरंगाबाद की सीट इसका उदाहरण है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह […]

पटना : कांग्रेस को महागठबंधन में बने रहने के लिए बड़ी कुर्बानी देनी पड़ रही है. पार्टी को उम्मीद थी कि महागठबंधन में उसे सम्मानजनक सीटें हासिल होंगी. पर, आलम यह है कि उसे अपनी पारंपरिक सीटों से भी बेदखल होना पड़ा है. औरंगाबाद की सीट इसका उदाहरण है. यहां पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह के पुत्र पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार को टिकट देने की बजाय यह सीट जीतन राम मांझी की पार्टी को मिल गयी. नाराज निखिल कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से शिकायत करने की बात कही है. कटिहार की सीट से तारिक अनवर पांच बार सांसद रहे हैं. इस बार उन्होंने राकांपा छोड़ कांग्रेस का दामन इसी उम्मीद में पकड़ा था कि चुनाव में उन्हें कटिहार से ही उम्मीदवार बनाया जायेगा. लेकिन, खबर है कि कटिहार की सीट मुकेश सहनी की वीआइपी को दी जा रही है. वहीं, तारिक को किशनगंज की सीट से लड़ने को कहा गया है.

इसी प्रकार वाल्मीकिनगर की सीट भी कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती रही है. टिकट के दावेदारों में नरकटियागंज के कांग्रेसी विधायक विनय वर्मा का भी नाम था. विनय वर्मा के पितामह विपिन बिहारी वर्मा पहले लोकसभा चुनाव से कई बार सांसद रहे थे. उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि पार्टी उनके नाम पर विचार करेगी. लेकिन,इस बार टिकट की सूची में विनय वर्मा का कहीं नाम नहीं है. खबर है कि यह सीट कांग्रेस को दी जा सकती है, पर कीर्ति आजाद के संभावित उम्मीदवार के रूप में चर्चा है. यहां से पूर्णमासी राम भी सांसद रहे हैं. पिछले चुनाव में उन्हें ही पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. महागठबंधन में कांग्रेस को पहले चरण में एक भी सीटें नहीं मिली है. नवादा की सीट से जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार कांग्रेस के सहयोग से चुनाव लड़ना चाहते थे.पर, नवादा की सीट खुद राजद ने अपने पास रख ली है.

स्थिति स्पष्ट नहीं
जानकार बताते हैं, महागठबंधन में सीटों की और प्रत्याशियों के चयन का खेल बगावती नेता बिगाड़ सकते हैं. दो चरणों के नामांकन शुरू होने तक भी महागठबंधन में न तो लोकसभा क्षेत्रों का बंटवारा हुआ और न ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गयी है. शुक्रवार को कांग्रेस के अंदर के पहली बगावत की तस्वीर भी दिख गयी. औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं ने सदाकत आश्रम और मौर्या होटल परिसर के बाहर विरोध किया. कांग्रेस को इसी तरह से अन्य लोकसभा क्षेत्रों में भी नुकसान उठाना पड़ेगा. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि महागठबंधन में कांग्रेस को एक-दो को छोड़कर वहीं सीटें मिलेगी जो राजद अपनी मर्जी से देगा. अभी महागठबंधन के नेताओं द्वारा दूसरे चरण की पांच लोकसभा सीटों की संख्या के बंटवारे की स्थिति भी स्पष्ट नहीं किया है.

आलाकमान से करेंगे बात : निखिल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने कहा है कि औरंगाबाद की सीट हम को दे दिये जाने की शिकायत वह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से करेंगे. टिकट कट जाने के बाद दिल्ली में निखिल कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि औरंगाबाद सीट हम को दिये जाने का विरोध करना स्वाभाविक बात है. इस मामले में आलाकमान से बात करेंगे. हालांकि सदाकत आश्रम में हुए हंगामे के बारे में निखिल कुमार ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा मामले की जानकारी नहीं है.

…इधर, सदाकत आश्रम के अलावा उनके समर्थकों ने मौर्या होटल के बाहर भी प्रदर्शन किया. अंदर महागठबंधन के नेता सीट बटवारे का एलान कर रहे थे, वहीं बाहर सड़क पर वी वांट निखिल कुमार के पोस्टर लिये उनके समर्थक नारेबाजी कर रहे थे. समर्थकों ने कहा कि कांग्रेस ने निखिल कुमार के साथ अन्याय किया है. गौरतलब है कि औरंगाबाद की सीट कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है. यहां से निखिल कुमार के पिता और पत्नी सांसद रह चुकी हैं.

राबड़ी आवास पर बैठक, हो सकती है घोषणा
पटना : राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के घटक दलों में शुक्रवार को सीटों का बंटवारा होने के बाद रविवार को सभी दलों के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो सकती है. इसके लिए रविवार देर शाम तक पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर महागठबंधन के नेताओं की बैठक हुयी. इसमें सभी चालीस सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चा होती रही. इसमें राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के सभी दलों के नेता मौजूद रहे. महागठबंधन के सूत्रों का कहना है कि सभी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम लगभग तय हैं. शनिवार को एनडीए के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद उसे देखते हुए रविवार को महागठबंधन के उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जायेगी. इसके बाद चुनाव प्रचार अभियान के लिए सभी घटक दलों के नेताओं का चयन कर स्टार प्रचारकों की सूची तैयार की जायेगी. यह सूची सभी घटक दल चुनाव आयोग को सौंपेंगे.

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