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रांची : लोन इन 59 मिनट्स योजना का उद्यमियों को नहीं मिल रहा लाभ

रांची : प्रधानमंत्री ने छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक साल पहले पीएसबी लोन इन 59 मिनट्स योजना शुरू की थी, लेकिन झारखंड में इसका लाभ आम उद्यमियों को नहीं मिल रहा है. काफी प्रयास के बाद एमएसएमई (सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्योग-धंधों) के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर तय समय सीमा […]

रांची : प्रधानमंत्री ने छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक साल पहले पीएसबी लोन इन 59 मिनट्स योजना शुरू की थी, लेकिन झारखंड में इसका लाभ आम उद्यमियों को नहीं मिल रहा है. काफी प्रयास के बाद एमएसएमई (सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्योग-धंधों) के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर तय समय सीमा में अगर आप किसी तरह आवेदन भी कर दें, तो आपको महज सैद्धांतिक सहमति से ही संतोष करना पड़ेगा.
अंतिम स्वीकृति हासिल करने के लिए आपको बैंक के पास जाना ही होगा. बड़ी संख्या में लोन आवेदनों को निरस्त करने पर एसएलबीसी ने भी अपनी नाराजगी जतायी है. बीओआइ से जुड़े एक बैंक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने 59 मिनट में सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी का पत्र जारी करने का वादा किया है, जिसमें साफ लिखा होता है कि आप कर्ज लेने के लायक हैं या नहीं, इसके बाद तय किया जाएगा. एनपीए के इस दौर में बैंक उसी को लोन देता है, जिन्हें वह पहले से जानता है. तकरीबन एक घंटे की निर्धारित समय-सीमा में लोन दिया जाना संभव ही नहीं है.
दो में से एक आवेदन ही स्वीकार्य : बैंकों के द्वारा महज लोन एप्लीकेशंस को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा रही है. 59 मिनट लोन के लिए वेबसाइट पर ढेरों अर्जियां जमा हो गयी हैं. हाल तक पोर्टल के माध्यम से करीब 2400 लाभुकों के लोन एप्लीकेशंस औपचारिक तौर पर स्वीकृत तो किये गये, लेकिन इनमें से करीब आधे 1207 एप्लीकेशंस को ही लोन की अंतिम मंजूरी मिली. वहीं आवेदकों द्वारा व्यावसायिक ट्रांजैक्शन की पुष्टि करनेवाले जरूरी दस्तावेजों को समय-सीमा के अंदर ही अपलोड कर दिया जा रहा है.
एमएसएमइ विकास के लिए मिल रही सिर्फ सैद्धांतिक मंजूरी
लोन लेने के लिए आपको सबसे पहले 59 मिनट लोनवाली वेबसाइट पर फर्म को ऑनलाइन रजिस्टर करना होता है. फिर लाॅग इन करके तमाम तरह के जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होते हैं. ग्राहकों को इससे कहीं ज्यादा वक्त डाक्यूमेंट अपडेट करने में लग जाता है. इतने कागजात की मांग की जाती है, जिसे नया उद्यमी कभी पूरा नहीं कर सकता. यही वजह है कि यह योजना एक साल बाद भी कागजों पर ही है.
एसके अग्रवाल, प्रेसिडेंट, झारखंड स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

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