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बाल विवाह व दहेज प्रथा समाज के लिए अभिशाप

मधेपुरा : गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित कला भवन में एक्शन एड यूनिसेफ महिला विकास निगम के सहयोग से बाल विवाह व दहेज प्रथा के विरुद्ध राज्यव्यापी अभियान के अंतर्गत मुखिया का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर उपस्थित जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष स्वदेश कुमार ने कहा कि बाल विवाह […]

मधेपुरा : गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित कला भवन में एक्शन एड यूनिसेफ महिला विकास निगम के सहयोग से बाल विवाह व दहेज प्रथा के विरुद्ध राज्यव्यापी अभियान के अंतर्गत मुखिया का एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया. मौके पर उपस्थित जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष स्वदेश कुमार ने कहा कि बाल विवाह व दहेज प्रथा समाज के लिए अभिशाप है. इस अभिशाप को सामूहिक प्रयास से दूर किया जा सकता है. इसके लिए सबसे जरूरी है बालिका को शिक्षित करें.

बालिका शिक्षित होकर आत्मनिर्भर होगी तो बाल विवाह व दहेज प्रथा पर स्वत: रोक लग जायेगी. इस सामाजिक कुरीति पर रोक के लिए सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन यह पूरी तरह तब सफल होगी जब हम सभी इस पर रोक के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा कि बाल विवाह व दहेज प्रथा समाज के लिए कलंक है.
इस पर रोक के लिए सामूहिक प्रयास करें. बेटी को शिक्षित करें. शिक्षा से ही इस सामाजिक करीतियों को दूर किया जा सकता है. इसमें पंचायत स्तर पर मुखिया की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. लोगों को बाल विवाह से होने वाले नुकसान को बताकर जागरूक करें. इसके लिए समय-समय पर प्रचार की आवश्यकता है.
मौके पर उपस्थित बाल विवाह व दहेज उन्मूलन अभियान की जिला समन्वयक नूतन कुमारी मिश्र ने दहेज प्रथा और बाल विवाह के दुष्प्रभाव से छात्रों को अवगत कराते हुए विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि बाल विवाह उन्मूलन व दहेज प्रथा उन्मूलन को लेकर मधेपुरा जिला दूसरे स्थान पर है.
मधेपुरा जिले में बहुत ही ज्यादा बाल विवाह हो रहा है. इसको लेकर 2017 में राज्य सरकार ने एक अभियान चलाया था. जिसको की बहुत ही बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है, ताकि बाल विवाह व दहेज प्रथा को शून्य पर लाया जा सके.
इसके लिए हर स्तर पर समिति बनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली के तहत मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है. विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है. ऐसी स्थिति में अधिकतम विवाहों को पंजीकृत किए जाने की आवश्यकता है. इससे बाल विवाह रोका जा सकता है.
समय के पूर्व शादी होने से जच्चा बच्चा के ऊपर रहता है खतरा
महिला विकास निगम के राज्य स्तरीय प्रशिक्षक जनेश्वर शर्मा व सुबोध कुमार ने कहा कि समय से पूर्व की गयी शादी के बाद जच्चा व बच्चा दोनों के ऊपर खतरा रहता है. जन्म लिए बच्चे अधिकतर अस्वस्थ रहते हैं. जिस कारण घर में बीमारी की समस्या से जूझने को विवश हो जाते हैं. वहीं कानूनी रूप से लड़कियों की 18 वर्ष व लड़कों की 21 वर्ष के बाद के बाद की गई शादी को कानूनी मान्यता देने की बात बतायी.

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