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केंद्र सरकार का सराहनीय कदम

बैंकों के दिवालिया होने पर ग्राहकों की जमा राशि की बीमा एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का केंद्र सरकार का कदम स्वागतयोग्य है.वहीं सरकार ने देश के सभी सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की बात कही है, जो पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक जैसे संकटों से निपटने […]

बैंकों के दिवालिया होने पर ग्राहकों की जमा राशि की बीमा एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का केंद्र सरकार का कदम स्वागतयोग्य है.वहीं सरकार ने देश के सभी सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के नियमन के तहत लाने की बात कही है, जो पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक जैसे संकटों से निपटने में मददगार होगा. हालांकि प्रशासनिक व्यवस्था अभी भी यथावत राज्य सरकार के दायित्व वाली संस्था के पास रहेगी, लेकिन रिजर्व बैंक के नियमन से कहीं-न-कहीं सहकारी बैंकों की मूल भावना प्रभावित हो सकती है. सहकारी बैंकों की पहुंच दूर-सुदूर तक है, जिससे आम लोगों के काम आसानी से हो जाते हैं.
रिजर्व बैंक के नियमन में आ जाने से पारदर्शिता के लिहाज से जरूर मुफीद होगा, किंतु कड़े पैमानों की वजह से कहीं सहकारी बैंक भी आम लोगों की पहुंच से दूर न चले जायें. बहरहाल, पारदर्शी तंत्र का निर्माण तो बैंकिंग व्यवस्था की मूल अवधारणा है, बशर्ते सहकारी बैंकों के असली लाभार्थियों को इससे तकलीफ न हो.
– कृष्ण चंद्र त्रिपाठी, उज्जैन, मध्य प्रदेश

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