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रिया ‘प्रहेलिका’ की कविता हिंदी

रिया 'प्रहेलिका' की कविता हिंदी

खूब भागे हम

मैथ, फिजिक्स

और

कंप्यूटर साइंस

के पीछे,

मगर अचानक

एक दिन,

जिंदगी ने

धर दिया जब

सर पर पहाड़,

तब ये तीनों

ही कलंदर

न सहन कर सके

उस पहाड़ का बोझ,

हुए याद्दाश्त से

ऐसे गायब

जैसे कि

गधे के सर से सींग,

और जिसे समझा 

गया था

महा उबाऊ

निचला

और हीन,

वही ‘हिंदी’

बिन पुकारे ही

चली आई,

उस पहाड़

के बोझ को 

छंटाने,

हाथों में

कागज कलम

लिए हमें बचाने.

24/03/20

रिया ‘प्रहेलिका’

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