33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Father’s Day 2020 : जवानी के दिनों में भी पिताजी से पिटाई हुई है- रोहिताश गौड़

Rohitash Gaud - अभिनेता रोहिताश गौड़ आज फादर्स डे अपने स्वर्गीय पिता सुदर्शन गौड़ को याद कर रहे हैं. वे अपनी कामयाबी उन्ही को समर्पित करते हैं। रोहिताश दो बेटियों के पिता भी हैं। वह यह साफतौर पर स्वीकारते हैं कि जो छोटे शहरों के पिता की मानसिकता होती है।वो मेरी भी है।अपनी बेटियों का दोस्त हूं लेकिन कुछ मामलों में सख्त भी हूं। उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत

Rohitash Gaud – अभिनेता रोहिताश गौड़ आज फादर्स डे अपने स्वर्गीय पिता सुदर्शन गौड़ को याद कर रहे हैं. वे अपनी कामयाबी उन्ही को समर्पित करते हैं। रोहिताश दो बेटियों के पिता भी हैं। वह यह साफतौर पर स्वीकारते हैं कि जो छोटे शहरों के पिता की मानसिकता होती है।वो मेरी भी है।अपनी बेटियों का दोस्त हूं लेकिन कुछ मामलों में सख्त भी हूं। उर्मिला कोरी से हुई खास बातचीत

पिताजी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा जाने की सलाह दी थी

मेरे पिता से जुड़ी कई खास यादें हैं।वे रंचमंच के बड़े कलाकार थे. वे शिमला के एक्साइज एंड टैक्स डिपार्टमेंट में काम करते थे. मैं एक्टिंग फील्ड में उनकी वजह से ही उतरा हूं क्योंकि उन्होंने ही मुझे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में जाने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा कि अगर आप टीवी,थिएटर या फ़िल्म में जाना चाहते हैं तो खुद को सबसे पहले प्रशिक्षित कीजिए. जिस तरह से भीमसेन जोशी जैसे महान कलाकार रियाज़ करते हैं. वैसे एक्टिंग भी रियाज़ है. वो करत करत अभ्यास से आती है.

डांट ही नहीं मार भी पड़ी है

मेरे पिता से मुझे डांट और मार दोनों पड़ी है. वो भी बहुत बार. बचपन में ही नहीं जवानी में भी पड़ी है. मुझे याद है ये तब की बात है जब हम जवानी में प्रवेश किए ही थे. उस वक़्त थोड़ा घर देर से आने लगा था. फिर क्या था मेरे पिताजी ने मेरी पिटाई कर दी. उन्हें लगा मैं गलत संगति में तो नहीं जा रहा. शराब सिगरेट की तो लत नहीं लगा रहा इसलिए पिटाई कर दी. उसके बाद देर रात तक घर से बाहर रहना मेरा बंद ही हो गया.

Also Read: TMKOC: 8 साल तक बेरोजगार रहने के बाद तारक शो से ‘अब्दुल’ की यूं बदली किस्मत, अब हैं 2 रेस्टोरेंट के मालिक, ऐसी है जिंदगी

लापतागंज की मेरी कामयाबी से बहुत खुश हुए थे

मुझे टेलीविज़न में जब कामयाबी मिलने लगी थी. वो बहुत ज़्यादा ओल्ड एज की तरफ जा रहे थे लेकिन उन्हें पता चलता था कि मैं बम्बई में अच्छा काम कर रहा हूं. वो बहुत खुश होते थे. उन्हें शुरुआत में बम्बई से थोड़ा डर लगता था. वो कहते थे कि एक्टिंग में भविष्य कुछ तय नहीं है. अच्छा हो ड्रामा टीचर कहीं लग जाओ या ड्रामा टीचर के जो जर्नलिस्ट होते हैं. वो बन जाओ लेकिन जब लापतागंज सीरियल आया और उसमें मुझे मुख्य भूमिका मिली तो उन्हें बहुत खुशी मिली थी क्योंकि बम्बई में हज़ारों लोग आते हैं. आपको कामयाबी मिल रही है. वो भी जब आप छोटे शहर से हैं तो आपके लिए और ज़्यादा बड़ी बात हो जाती है.

पिताजी कहते थे स्ट्रगल को कभी बोझ नहीं समझना

मेरी जर्नी में स्ट्रगल भी रहा है. वो हमेशा मुझे मोटिवेट कर कहते थे कि स्ट्रगल को कभी बोझ की तरह मत लो. एक टेंशन की तरह मत लो. एन्जॉय योर स्ट्रगल. उन्होंने मुझे ये भी कहा था कि अपने टाइम को फिक्स कर लो. ये तय कर लो कि मैं तीन साल स्ट्रगल करूगा. अगर सफलता नहीं मिलती है तो फिर छह महीने और दूंगा. फिर उसके बाद समय बर्बाद नहीं करूंगा क्योंकि उम्र निकल जाती है फिर काफी चीज़ें लाइफ में नहीं हो पाती हैं. बहुत सारे एक्टर्स के साथ ऐसा हुआ है. स्ट्रगल करते करते शादी की उम्र भी निकल गयी. वैसे मैं लकी था कि मुझे तीन साल से पहले काम मिलने लग गया.

फादर्स डे का कांसेप्ट सही है

मुझे लगता है कि फादर्स डे,मदर्स डे,फ्रेंड्स डे, वैलेंटाइन डे ये सब होना ही चाहिए. ये अच्छी चीज़ें हैं. कई लोग इसे अंग्रेज़ी विचारधारा मानते हैं लेकिन मैं नहीं मानता हूं. इतनी फ़ास्ट लाइफ है. इतनी जद्दोजहद है जीवन में. ऐसे में आप कम से कम उन्हें याद तो करते हैं. जैसे आप मेरा इंटरव्यू ले रही हैं तो मैं अपने पिताजी को याद कर रहा हूं. पुरानी यादें फिर से ताज़ा हो रही हैं. जिन्हें याद करके मुझे खुशी हो रही है. उन्हें मिस भी कर रहा हूं. ये सब अच्छा है.

मैं पिता के तौर पर फ्रेंडली भी सख्त भी

मैं पिता के तौर पर अगर खुद की बात करूं तो मैं अपनी बेटियों के साथ सख्त भी हूं और फ्रेंडली भी. मेरे बच्चे महानगर के बच्चे हैं हमारे छोटे शहरों के नहीं. इनको एक्सपोज़र भी है. बॉम्बे जैसी जगह में बहुत कुछ जानने औऱ सीखने को है. मेरी बेटियों को एक्टिंग और डांस के प्रति रुझान है तो मेरी कोशिश होती है कि अच्छे प्रशिक्षित लोगों से उसे ट्रेनिंग दिलवाऊं. उन्हें मनपसंद चीज़ें करने की आज़ादी है. रोक टोक नहीं करता हूं. हां मैं स्ट्रिक्ट भी हूं खासकर मुझे बहुत देर तक घर से बाहर बच्चों का रहना पसन्द नहीं है. जो मेरे पिता या कहे छोटे शहरों के पिता की मानसिकता होती है. वो मेरी भी है. समय पर घर आओ. खानेपीने का ध्यान रखो. एक्सरसाइज करो. सुबह का रूटीन आपका अच्छा होना चाहिए.

शाम में सेलिब्रेशन होगा

मेरी बेटियां फादर्स डे सेलिब्रेट करती हैं. हर साल बहुत सीक्रेट अंदाज़ में उनकी प्लानिंग होती है. शाम को ही ये अपना पिटारा खोलेंगी. केक कटिंग ,मेरा पसंदीदा खाना ये सब तो होगा ही.

Posted By: Divya Keshri

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें