38.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

साइबर सुरक्षा जरूरी

हैकिंग के अलावा साइबर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, ब्लैकमेल आदि अपराध भी बढ़ रहे हैं.

पिछले दिनों दिल्ली स्थित देश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स से लगभग चार करोड़ मरीजों का डाटा हैकरों द्वारा चोरी किये जाने के बाद साइबर सुरक्षा का मसला एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. उल्लेखनीय है कि साइबर सेंधमारी के सबसे अधिक मामले जिन देशों में आते हैं, उनमें भारत शीर्ष के दो-तीन देशों में शुमार होता है. इसी बीच इस खबर ने तहलका मचा दिया है कि दुनियाभर के पचास करोड़ व्हाट्सएप यूजरों के डाटा उड़ाकर उन्हें खुले बाजार में बेचा जा रहा है.

प्रभावित लोगों में भारतीयों की बड़ी संख्या होने की आशंका जतायी जा रही है. कुछ समय पहले लाखों मरीजों का डाटा चुराकर इंटरनेट पर डालने का मामला भी सामने आया था. डिजिटल तकनीक के तेज विस्तार के साथ भारत में एक अरब से अधिक लोग फोन इस्तेमाल करने लगे हैं. इंटरनेट का इस्तेमाल भी लगातार बढ़ता जा रहा है. मनोरंजन, समाचार, संवाद और सोशल मीडिया के लिए स्मार्ट फोन और कंप्यूटरों का उपयोग तो हो ही रहा है, साथ ही डिजिटल लेन-देन, स्वास्थ्य सेवाओं और मौसम व कारोबार संबंधी जानकारियां जैसी सेवाओं का फायदा भी उठाया जा रहा है.

ऐसे में डाटा सुरक्षा की चिंता बढ़ती जा रही है. हैकिंग के अलावा साइबर धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा, ब्लैकमेल आदि अपराध भी बढ़ रहे हैं. हाल ही में केंद्र सरकार ने टेक कंपनियों की जिम्मेदारी तय करने तथा देश के उपयोगकर्ताओं एवं उपभोक्ताओं के डाटा का संग्रहण देश में ही करने संबंधी कानून का मसौदा पेश किया है. हालांकि भारत में दो दशक पहले से ही साइबर कानूनों को बनाने और लागू करने का सिलसिला चल रहा है, लेकिन ये प्रयास आंशिक रूप से ही कामयाब हो सके हैं.

ऐसे में कठोर कानूनी प्रावधानों की जरूरत तो है, साथ ही पुलिस और अन्य एजेंसियों को तकनीकी रूप से दक्ष बनाने और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता भी है. सरकार, बैंकों तथा पुलिस-प्रशासन की ओर से लोगों को अक्सर जागरूक करने के लिए सुझाव एवं निर्देश दिये जाते हैं. फिर भी लापरवाही में या सही जानकारी नहीं होने के कारण लोग अपने डाटा की सुरक्षा नहीं कर पाते. एप के जरिये कर्ज के जाल में फंसाने के आपराधिक नेटवर्क जिस तरह से फैले हैं, उनसे यही इंगित होता है कि गूगल और एप्पल जैसे मंच भी सावधान नहीं हैं तथा स्थानीय स्तर पर पुलिस के साइबर अपराध शाखा भी सचेत नहीं हैं.

सरकारी संस्थानों, मंत्रालयों, विद्युत केंद्र, अस्पतालों, बैंकों जैसे अहम जगहों पर साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर की निगरानी और संचालन कर रहे लोगों को भी ठोस प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए. बड़ी सेंधमारियों और फर्जीवाड़े के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क पर अंकुश लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर कोई तंत्र स्थापित होना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें