33.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Exclusive : बिहार में जीडीएस पदों के लिए फर्जी अंकपत्र से आवेदन कर रहे शातिर, 97 फीसदी पद रह जाते हैं खाली

अधिकारियों की मानें तो अंकपत्र में ही केवल फर्जीवाड़ा नहीं होता है. बल्कि सरनेम, पिता के नाम और पता भी गलत होते हैं. इसके कारण ऐसे आवेदकों के खिलाफ विभाग कार्रवाई नहीं कर पाता है.

सुबोध कुमार नंदन, पटना. डाक विभाग (बिहार सर्किल) के ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) बहाली में एक बड़ा मामला सामने आया है. इससे पूर्व वर्ष 2022 में ग्रामीण डाक सेवकों के लिए 984 पदों के लिए आवेदन मांग गये थे. जब 20 जून 2022 में मेधा सूची जारी की गयी, तो उनमें से 397 उम्मीदवारों के अंक 100 फीसदी थे. इसकी जांच अभी चल ही रही है. इस बीच डाक विभाग (बिहार सर्किल) ने 11 मार्च को ग्रामीण डाक सेवक की मेधा सूची जारी की गयी. इनमें 1458 उम्मीदवारों में से 244 उम्मीदवारों के अंक 100 फीसदी हैं.

60 फीसदी उम्मीदवार के मैट्रिक में 98-99 फीसदी से अधिक अंक

डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बिहार सर्किल ने ग्रामीण डाक सेवक भर्ती 2021 के तहत 1940 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगा गया था. आवेदन फॉर्म ऑनलाइन करना था. इसके लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक पास थी. शैक्षणिक दस्तावेज की जांच के दौरान लगभग 60 फीसदी सफल उम्मीदवारों को मैट्रिक में 98-99 फीसदी से अधिक अंक थे.

दूसरे राज्यों का अंकपत्र किया प्रस्तुत 

वरीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार 98-99 फीसदी से अधिक वाले सफल उम्मीदवारों ने तमिलनाडु, यूपी और झारखंड राज्य से मैट्रिक की पढ़ाई करने को अंक पत्र प्रस्तुत किया गया था. अधिकारियों की मानें, तो तमिलनाडु और झारखंड राज्य से मैट्रिक की परीक्षा देना ही शंका पैदा करता है. इसलिए इन राज्यों से मैट्रिक पास उम्मीदवारों की जांच चल रही है.

99 से 100 अंक वाले अधिकतर अभ्यर्थी फर्जी

डाक विभाग के वरीय अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि 99 – 100 अंक प्राप्त वाले सभी उम्मीदवार फर्जी है. इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है. फर्जी अंकपत्र के सहारे आवेदन तो कर देते हैं, लेकिन जब बोर्ड से संबंधित दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाती है, तो आवेदक हाजिर ही नहीं होते हैं. इसके कारण पिछले तीन सालों से ग्रामीण डाक सेवक के पद लगभग खाली ही रह जाते हैं. पिछले साल की बात करें, तो केवल तीन फीसदी आवेदकों ने योगदान दिया है. यानी 30 उम्मीदवारों ने योगदान दिया. इस तरह 954 पद खाली रह गये थे. इससे पूर्व भी कमोबेश यहीं स्थिति रही थी.

Also Read: बिहार डाक विभाग में फर्जीवाड़े की आशंका, जीडीएस मेरिट लिस्ट में 1458 में से 244 के 100 फीसदी अंक
दस्तावेज के सत्यापन के लिए डाक विभाग को करना पड़ता है खर्च

अधिकारियों की मानें तो अंकपत्र में ही केवल फर्जीवाड़ा नहीं होता है. बल्कि सरनेम, पिता के नाम और पता भी गलत होते हैं. इसके कारण ऐसे आवेदकों के खिलाफ विभाग कार्रवाई नहीं कर पाता है. जिन आवेदक का बोर्ड से संबंधित अंक पत्र सहित अन्य दस्तावेज डिजिलॉकर में होते हैं. उसे ऑनलाइन सत्यापन कर लिया जाता है, लेकिन ऑफलाइन के मामले में संबंधित बोर्ड को दस्तावेज के सत्यापन के लिए भेजा जाता है. इसके लिए डाक विभाग को खर्च वहन करना पड़ता है.

पिछले साल जिन आवेदकों के दस्तावेज सत्यापन के लिए भेजे गये थे. उनकी भी रिपोर्ट संबंधित बोर्ड ने नहीं भेजी है. वरीय अधिकारियों का कहना है कि इससे अच्छा होता कि विभाग खुली प्रतियोगिता कर बहाली करता. अंकों में गलत डाटा डालने पर भी विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता है. इससे दूसरे कैंडिडेट भी बहाली से वंचित रह जाते हैं. इस बहाली को रद्द होना चाहिए और फिर से परीक्षा का प्रोसेस करना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें