नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कोष में वृद्धि के लिए वित्तीय बाजारों की भागीदारी सुनिश्चित करने के सुझाव पर वित्त मंत्री अरुण एक फरवरी को केंद्र सरकार की ओर पेश होने वाले वित्त वर्ष 2017-18 में लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर कर व्यवस्था की समीक्षा कर सकते हैं. इसके लिए वित्त मंत्रालय की ओर से कई स्तरों पर चर्चा भी की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि सरकार लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर अर्हता प्राप्त करने के लिए समान अवधि के लिए शेयरों की गुणवत्ता में सुधार की भी समीक्षा कर सकती है. यहां तक कि वह बदलाव नहीं की गयी कर की दरों को भी सरकार छोड़ने के मूड में दिखाई दे रही है. इस समय यदि कोई निवेशक पूंजीगत शेयर में 12 महीने से अधिक समय के लिए निवेश करता है, तो यह लंबी अवधि के निवेश में शामिल किया जाता है. कोई भी लंबी अवधि के लाभ वाले शेयरों में कर से छूट भी दी गयी है.
अंग्रेजी के अखबार द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि पिछले सालों के बजट के दौरान समान अवधि के गैर-सूचीबद्ध शेयरों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी थी. इसी का नतीजा है कि वित्त वर्ष 2016-17 के बजट में दो से तीन साल वाले लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ वाली व्यवस्था में कटौती भी की गयी थी. गौरतलब है कि एक साल से कम अवधि वाले शेयरों की खरीद करने पर इसे लघु अवधि पूंजीगत लाभ वाले श्रेणी में रखा जाता है और इस पर करीब 15 फीसदी टैक्स का भुगतान भी करना पड़ता है.
वहीं, बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ वाले शेयरों पर कराधान करना ग्लोबल मार्केट में बुरा प्रभाव डाल सकता है. उनका कहना है कि 12 महीने से अधिक समय वाले लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ वाले शेयरों पर छूट देना तो बहुत ही जरूरी है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 25 दिसंबर को शेयर बाजार में बड़ा निवेश करने वालों पर कराधान करने को लेकर दबाव बनाया था. इसके तुरंत बाद ही वित्त मंत्री ने सफाई देते हुए यह भी कहा था कि सरकार की उद्देश्य लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ वाले शेयरों में निवेश करने वालों पर टैक्स लगाने का नहीं है.