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सावधान! पांच साल में आईटी सेक्टर के करीब 6.5 लाख लोगों को धोना पड़ सकता है नौकरी से हाथ, जानिये क्यों…?

नयी दिल्ली : कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा के बाद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर की तीसरी दिग्गज कंपनी विप्रो की ओर से करीब 600 कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद भले ही इस समय रोजगार को लेकर बहस छिड़ी हुई हो, लेकिन अगर रिसर्च कंपनियों के दावों को मानें, तो आगामी पांच साल में भारत […]

नयी दिल्ली : कर्मचारियों के कामकाज की समीक्षा के बाद सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर की तीसरी दिग्गज कंपनी विप्रो की ओर से करीब 600 कर्मचारियों को निकाले जाने के बाद भले ही इस समय रोजगार को लेकर बहस छिड़ी हुई हो, लेकिन अगर रिसर्च कंपनियों के दावों को मानें, तो आगामी पांच साल में भारत के करीब 6.5 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है. रिसर्च कंपनियों की ओर से इसकी सबसे बड़ी वजह आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन सिस्टम को लागू करना बतायी जा रही है.

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इतना ही नहीं, इन रिसर्च कंपनियों का यह भी कहना है कि ऑटोमेशन के प्रभाव से न केवल भारत के आईटी सेक्टर के करीब 6.5 लाख लोगों को बेरोजगार होना पड़ सकता है, बल्कि इस सेक्टर में वर्ष 2021 तक वैश्विक स्तर पर करीब नौ फीसदी यानी 14 लाख लोगों को अपनी नौकरियां गंवानी पड़ सकती है.

कर्मचारियों के बोझ तले दबा हुआ है भारत का आईटी सेक्टर

पिछले साल जुलाई के महीने में अमेरिका की रिसर्च कंपनी एचएफएस ने अपनी शोध रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि अगले पांच साल के दौरान भारत के आईटी सेक्टर में 6.5 लाख लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है. इस रिसर्च फर्म का कहना है कि भारत का आईटी सेक्टर ज्यादा कर्मचारियों के बोझ तले दबा हुआ है और कम दक्षता वाली नौकरियां जैसे ऑटोमेशन में यह छंटनी होगी. आईटी सेक्टर इस समय 35 लाख लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है.

2021 तक दुनिया भर में आईटी सेक्टर के 14 लाख लोगों की जा सकती है नौकरी

रिसर्च कंपनी एचएफएस की रिपोर्ट की मानें, तो साल 2021 तक ग्लोबल स्तर पर करीब नौ फीसदी (14 लाख) लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ सकती है. इसका असर फिलिपींस, ब्रिटेन और अमेरिका पर भी पड़ेगा. कंपनी के रिसर्च में यह कहा गया है कि भारत का आईटी सेक्टर लगभग 6.5 लाख नौकरियां खत्म करने जा रहा है. ये नौकरियां हर पांच में से एक नौकरी खत्म करने जैसा है. इसकी बड़ी वजह भारतीय आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन तकनीक का आना है.

पिछले साल से ही मंदी की मार झेल रहा इंडस्ट्री

एचएफएस रिसर्च के सीईओ फिल फ्रेस्ट ने आंकड़ों को पेश करते हुए कहा था कि पिछले दो दशकों में भारत के आईटी सेक्टर ने जबरदस्त उछाल देखा है, लेकिन यह पहली बार है, जब इस सेक्टर में मंदी का रुख देखा जा रहा है. भारत की कंपनियों और कर्मचारियों के लिए ये बुरा समय है. हालांकि, आईटी सेक्टर की संस्था ‘द नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज’ (नैसकॉम) ने एचएफएस की शोध रिपोर्ट के विपरीत यह दावा किया था कि इसमें सभी नौकरियों को ठीक तरह से नहीं दर्शाया गया है. नैसकॉम के सीनियर प्रेसिडेंट संगीता गुप्ता का कहना था कि ऑटोमेशन का कुछ असर आईटी सेक्टर पर होगा, लेकिन उनका मानना है कि टेक्नॉलॉजी को अपनाने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

कार्यबल में हो रही बढ़ोतरी, मगर ऑटोमेशन से हो रही कामकाज की समीक्षा

वहीं, आईटी सेक्टर में ऑटोमेशन तकनीक के आने को लेकर दिल्ली की मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म टेक्नोपैक एडवाइजर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अरविंद सिंघल का कहना है कि बीते कुछ सालों से आईटी सेक्टर का कामकाज की समीक्षा की ओर से अग्रसर है. उनका कहना है कि ऑटोमेशन तकनीक ने नौकरियों के दोहराव मैकेनिकेज्म पर कब्जा जमा लिया है. ऐसी स्थिति में जो लोग काम की बदली उन्नत परिस्थितियों के अनुरूप खुद को नहीं ढालते हैं, उनके लिए खतरा है. उनका कहना है कि इसी वजह से ज्यादातर लोगों को अप्रत्याशित तरीके से अपनी नौकरी गंवानी पड़ रही है, लेकिन सूचना तकनीक के क्षेत्र में कार्यबल में जबरदस्त तरीके से बढ़ोतरी भी हो रही है.

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